न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बनने के बाद से उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नही ले रही हैं. उनपर राजद लगातार हमलावर है. पार्टी ने एक बार फिर सवाल किया है कि आपके नवरत्नों में अपराधी और भ्रष्टाचारी ही क्यों है और इनके मंत्रियों को भ्रष्टाचार बड़ी बात क्यों नहीं लगती है? आरजेडी के निशाने पर खास तौर पर पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ मेवालाल चौधरी रहे हैं.
इसके साथ ही विपक्ष ADR की उस रिपोर्ट पर भी सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है, जिसमें 14 में से 6 मंत्रियों पर गंभीर आपराधिक केस की बात सामने आई है. विपक्ष के इन्हीं हमलों के बीच आज से 17वीं विधानसभा सत्र का आगाज हो रहा है, ऐसे में सरकार भी कहीं न कहीं बैकफुट पर नजर आ रही है. राजभवन के मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. मेवालाल चौधरी से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में वाइस चांसलर ने राजभवन से राय मांगी है.
दरअसल, तारापुर के विधायक और बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर के पूर्व कुलपति डॉ. मेवालाल चौधरी के मामले में एसएसपी आशीष भारती ने अभियोजन स्वीकृति के लिए बीएयू के कुलपति को पत्र लिखा है. इसके बाद कुलपति डॉ. एके सिंह ने राजभवन से निर्देश लेने के साथ ही कानूनी विशेषज्ञों से राय लेने की तैयारी शुरू कर दी है. बीएयू में सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति में हुए घोटाले में मेवालाल मुख्य आरोपी हैं.
राजभवन के आदेश का इंतजार
गौरतलब है कि कोर्ट में आरोपपत्र समर्पित करने के लिए अभियोजन स्वीकृति आवश्यक है. इसी सिलसिले में एसएसपी ने डॉ. मेवालाल और बीएयू के तत्कालीन सहायक निदेशक डॉ. एमके वाधवानी के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के आदेश की मांग की है.माना जा रहा है कि बीएयू प्रशासन सोमवार को इस पत्र का जवाब देगा. कुलपति डॉ. सिंह ने कहा कि मामले में कानून विशेषज्ञों से राय लेने व राजभवन से निर्देश के बाद ही वह कोई कदम उठाएंगे.
निगरानी कोर्ट में चलेगा ट्रायल
कानून के जानकार बताते हैं कि दरअसल अनुसंधान के दौरान पूर्व वीसी के विरुद्ध प्रथमदृष्टया अपराध साबित हो गया है. जाहिर है इस पत्र के जरिये इसके लिए अभियोजन स्वीकृति के लिए लिखा गया है. स्वीकृति मिलते ही भागलपुर पुलिस चार्टशीट दायर करेगी और इसके बाद मामले में ट्रायल चलेगा.
जमानत पर हैं दोनों अभियुक्त
हालांकि इसमें एक पेच यह है कि कुलपति को कुलाधिपति से अभियोजन स्वीकृति का आदेश लेना होगा. कुलाधिपति के आदेश के बाद ही पुलिस चार्टशीट दायर कर सकेगी. इसके बाद निगरानी कोर्ट में ट्रायल चलेगा. मामले में हाईकोर्ट से दोनों अभियुक्त जमानत पर हैं. इसलिए अब कोर्ट में ही ट्रायल चलेगा.
जानें क्या है पूरा मामला
बता दें कि जुलाई 2011 में 161 कनीय वैज्ञानिक और सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति का विज्ञापन निकला था. विज्ञापन के आधार पर अगस्त 2011 में साक्षात्कार और सितंबर में योगदान कराया गया था. साल 2015 में आरटीआई में साक्षात्कार के अंक की मांग की गई. साक्षात्कार में असफल प्रतिभागियों ने अंक में हेराफेरी का आरोप लगाया. मामला राजभवन पहुंच गया. इसके बाद राजभवन के आदेश पर सेवानिवृत्त न्यायामूर्ति ने नियुक्ति में गड़बड़ी की जांच कर रिपोर्ट सौंपी.
2017 में दर्ज कराई गई थी प्राथमिकी
बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में तत्कालीन कुलपति और चयन समिति के अध्यक्ष डॉ. मेवालाल चौधरी को नियुक्ति में अनियमितता का दोषी पाया गया. इसी आधार पर राजभवन ने डॉ. मेवालाल के खिलाफ एफआईआर कराने का आदेश दिया था. इसके बाद रजिस्ट्रार अशोक कुमार ने 21 फरवरी 2017 को सबौर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.
नीतीश सरकार के ग्रह नक्षत्र ठीक नही
कुलमिलाकर इस बार नीतीश सरकार के ग्रह नक्षत्र ठीक नही चल रहे हैं. कभी भी खुद की नीति पर चलनेवाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन आरोपों को झेलते हुए कब तक सरकार चला पाते हैं यह तो आनेवाला वक्त ही बताएगा.