न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : मोतिहारी/ बिहार :
सूर्योपासना का महापर्व छठ 18 नवंबर दिन बुधवार को नहाय-खाय से आरंभ होगा। बुधवार से चार दिवसीय महापर्व का अनुष्ठान आरंभ होगा जो 21 नवंबर को सूर्योदय पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होगा। चार दिवसीय महापर्व अनुष्ठान के मौके पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बन रहा है। पौराणिक मान्यता है कि छठ सूर्यदेव की बहन है। छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती है और परिवर में सुख-समृद्धि, धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं। आचार्य पं. जनार्धन पुरोहित ने बताया कि 18 को रवियोग में नहाय-खाय से चार दिनों का महापर्व आरंभ होगा। महापर्व का समापन द्विपुष्कर योग में होगा।
कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को रवियोग में नहाय खाय के साथ छठ महापर्व शुरू हो रहा है। छठ महापर्व पर ग्रह-गोचरों के शुभ संयोग बन रहा है। 19 नवंबर को खरना का प्रसाद बनेगा। पंडित आचार्य पं. जनार्धन पुरोहित ने बताया कि 19 नवंबर को 5:22 बजे सूर्यास्त हो रहा है। इसके बाद व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ करेंगी। शुक्रवार 20 नवंबर को सायंकालीन अर्घ्य व्रती भगवान भास्कर को देंगे। 20 नवंबर को सूर्यास्त 5:21 बजे होगा। इसके पूर्व व्रती भास्कर को पहला अर्घ्य देकर आशीष प्राप्त करेंगे। वही 21 नवंबर को उगते सूर्य को अघ्र्य देकर व्रत का पारण करेंगी। 21 नवंबर को सूर्योदय 6:39 बजे होगा। आचार्य पं. जनार्धन पुरोहित ने बताया कि शुक्रवार को सायंकालीन अर्घ्य सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ेगा। वही शनिवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य द्विपुष्कर योग में पड़ेगा।
प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर को सप्तमी तिथि अत्यंत प्रिय है। विष्णु पुराण के अनुसार तिथियों के बंटवारे के समय सूर्य को सप्तमी तिथि प्रदान की गई। इसलिए उन्हेंं सप्तमी का स्वामी कहा जाता है। सूर्य भगवान अपने इस प्रिय तिथि पर पूजा से अभिष्ट फल प्रदान करते हैं। सूप,डाला- अघ्र्य में नए बांस से बनी सूप व डाला का इस्तेमाल किया जाता है। सूप से वंश वृद्धि होती है और वंश की रक्षा होती है। ईख- ईख आरोग्यता का घोतक है। ठेकुआ- ठेकुआ समृद्धि का घोतक है। ऋतुफल- ऋतुफल के फल से विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है।