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आशीष राज, स्थानीय संपादक, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह
बिहार के मोतिहारी में एक साथ पांच दारोगा को निलंबित किए जाने से पूरे पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। दरअसल, ऐसा तब हुआ जब पिछले दिनों चंपारण रेंज के डीआइजी मोतिहारी ने विभिन्न थानों का निरीक्षण किया था।
बिहार के मोतिहारी जिले में पुलिस महकमे में बड़ा भूचाल आया है। जिले में एक साथ पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया, जिससे पूरे पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। यह सख्त कार्रवाई चंपारण रेंज के डीआईजी हरिकिशोर राय के निरीक्षण के दौरान सामने आई गंभीर लापरवाही के कारण की गई। बताया जा रहा है कि निलंबित किए गए अधिकारियों ने अपने पुराने थानों के मामलों का प्रभार नए अधिकारियों को नहीं सौंपा था, जिससे केसों की जांच प्रभावित हो रही थी।
पुराने केसों को नहीं सौंपने का आरोप
निरीक्षण के दौरान गड़हिया ओपी के थानाध्यक्ष राजीव रंजन कुमार को निलंबित कर दिया गया। उनके ऊपर आरोप था कि हरैया थाना से एक साल पहले ट्रांसफर होने के बावजूद भी करीब 40 केसों का प्रभार नहीं सौंपा गया था, जिससे मामलों की जांच प्रभावित हो रही थी। इस गंभीर लापरवाही के चलते डीआईजी ने उनके निलंबन का आदेश जारी किया।
चार अन्य दारोगा भी हुए निलंबित
इसके साथ ही चार अन्य दारोगाओं को भी निलंबित किया गया। इनमें छोड़दानों थाना के शिवजी सिंह, पचपकड़ी थाना के ब्रजभूषण सिंह, जय बजरंग थाना के संजय कुमार सिंह और रक्सौल थाना के संजय कुमार सिंह शामिल हैं। इन सभी अधिकारियों पर अपने पुराने थानों के मामलों का प्रभार नहीं देने का आरोप था, जिससे जांच में देरी हो रही थी।
एसपी के निर्देश पर शुरू हुई सख्त कार्रवाई
मोतिहारी एसपी स्वर्ण प्रभात के पदभार संभालने के बाद पॉकेट डिस्पोजल (पेंडिंग केसों को बिना उचित प्रक्रिया के समाप्त करना) को लेकर कड़ा रुख अपनाया गया था। जिले में लगभग 22,000 पॉकेट डिस्पोजल का मामला सामने आया था। एसपी ने इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाए और सभी अधिकारियों को पुराने मामलों का प्रभार सौंपने का निर्देश दिया। हालांकि कुछ अधिकारी अभी भी इन आदेशों का पालन नहीं कर रहे थे, जिसके कारण अब उन पर गाज गिरनी शुरू हो गई है।
चेतावनी : आगे और भी हो सकती है कार्रवाई
इस कार्रवाई के बाद जिले के अन्य पुलिस अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया है। यह माना जा रहा है कि जिन अधिकारियों ने अब तक पुराने मामलों की जिम्मेदारी पूरी तरह से नहीं सौंपी है, उन पर भी जल्द ही सख्त कार्रवाई हो सकती है। डीआईजी ने स्पष्ट किया कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा, ताकि जिले की कानून-व्यवस्था को प्रभावी बनाया जा सके और लंबित मामलों का शीघ्र निपटारा हो सके।