न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ :
★सोशल मीडिया बनाता है तो बिगाड़ता भी है। सुनील कुमार सिंह से नीतीश ने लिया बदला। अब अशोक चौधरी सोशल मीडिया के शिकार। जेडीयू में चौधरी को निपटाने की शुरू है तैयारी। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ आरजेडी के एमएलसी रहे सुनील कुमार सिंह को चुकानी पड़ी कीमत। मौका तलाश कर नीतीश ने औकात दिखा दी। अब मंत्री अशोक चौधरी भी सोशल मीडिया का शिकार हो गए हैं। नीतीश उनके एक पोस्ट से नाराज हो गए हैं।★
सोशल मीडिया कितना असरदार है, इसे समझने के लिए बिहार बढ़िया केस स्टडी है। सोशल मीडिया पर आरजेडी एमएलसी सुनील कुमार सिंह की सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ सांकेतिक टिप्पणियां उन पर भारी पड़ गईं। उनको एमएलसी से हटाया भी ये सबकुछ नीतीश कुमार की मिमिक्री करने के चलते हुआ, लेकिन मूल में सोशल मीडिया पर उनके पोस्ट ही थे। अब मंत्री अशोक चौधरी इसके शिकार हो गए। हालांकि अभी तक उन्हें डांट ही पड़ी है, लेकिन आगे चल कर यह उनके लिए और घातक साबित हो जाए तो आश्चर्य नहीं।
सुनील सिंह को चुकानी पड़ी कीमत
सुनील कुमार सिंह आरजेडी के एमएलसी हुआ करते थे। उनकी इससे भी बड़ी पहचान एक और है। वे अपने को राबड़ी देवी का मुंहबोला भाई बताते हैं। लालू यादव के परिवार में भी उनकी इसी रूप में अहमियत है। नीतीश कुमार जब आरजेडी के साथ सरकार चला रहे थे तो सुनील सिंह उनके पीछे पड़ गए थे। दरअसल उनकी मंशा तेजस्वी यादव को सीएम बनाने की थी। नीतीश कुमार कुर्सी छोड़ नहीं रहे थे। उन्हें उकसाने और बिदकाने के लिए सुनील सिंह ने सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ दिया था। नीतीश कुमार उन्हें सबक सिखाने के लिए अवसर की तलाश में थे। सदन में नीतीश की मिमिक्री करना उन्हें हटाने का आधार बना। अब सुनील सिंह पूर्व एमएलसी हो गए हैं।
मंत्री अशोक चौधरी अब बने शिकार
सुनील सिंह को तो नीतीश ने निपटा दिया, अब उनके निशाने पर मंत्री अशोक चौधरी आ गए हैं। अशोक चौधरी ने किसी परिचित की आई कविता को सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया। उनकी बौद्धिक चोरी यह रही कि भेजने वाले का नाम नहीं डाला। कविता में बढ़ती उम्र के लोगों के लिए संदेश है। इसे किसी व्यक्ति विशेष से जोड़ कर न देखा जाए तो यह हर किसी पर फिट बैठती है, जो उम्र के चौथे पड़ाव में पहुंच गया है या पहुंचने वाला है। नीतीश के बौद्धिक जमात या यह कहें कि अशोक चौधरी से खुन्नस रखने वाले लोगों ने इस कविता में नीतीश कुमार की तलाश कर ली। तुरंत यह बात नीतीश तक पहुंचा दी गई। जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार मोर्चे पर भी डट गए। नीतीश ने भी फौरन चौधरी को तलब कर लिया। अशोक चौधरी ने उनके सामने क्या सफाई दी, नहीं मालूम, लेकिन मीडिया को बताया कि उनके किसी मित्र ने यह कविता उन्हें भेजी थी। संदेश अच्छा लगा तो सोशल मीडिया पर डाल दिया। इसे नीतीश कुमार को लक्ष्य कर उनके लिखने का कोई इरादा नहीं था। नीतीश उनके मानस पिता हैं।
इतनी सी बात का बन गया बतंगड़
चौधरी के इस पोस्ट की बात को बतंगड़ क्यों बनाया गया। मीडिया को भी इसमें नीतीश कुमार क्यों नजर आ गए। यह स्थिति इसलिए उत्पन्न हुई, क्योंकि जेडीयू में अशोक चौधरी के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। जहानाबाद में उन्होंने भूमिहार के बारे में टिप्पणी भी जेडीयू के हित में ही की थी। उनके कहने का आशय यह था कि भूमिहार को नीतीश कुमार तरजीह देते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में भूमिहारों ने उनके उम्मीदवार को महत्व नहीं दिया। हां, वे अपनी बात सपाट ढंग से कह गए, इसलिए जेडीयू की भूमिहार लाबी उन पर आक्रामक हो गई। उन्हें न सिर्फ अपने ही नेताओं का शिकार होना पड़ा, बल्कि नीतीश कुमार ने भी उनकी अनदेखी शुरू कर दी। दोबारा पार्टी में लौटे श्याम रजक राष्ट्रीय महासचिव बना दिए गए, लेकिन अशोक चौधरी को कार्यकारिणी में भी जगह नहीं मिली। सीएम के साथ साए की तरह सब जगह दिखने वाले अशोक चौधरी अब उनकी ही नजरों में संदिग्ध हो गए हैं।