न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
★सुप्रीम कोर्ट द्वारा कल एक दिसंबर के आदेश में कहा गया है- एक्सट्रीमली बैकवार्ड क्लास कमीशन को डेडिकेटेड कमीशन नहीं माना जायेगा. यानि बिहार का अति पिछडा वर्ग आय़ोग डेडिकेटेड कमीशन नहीं है.वहीं, बिहार सरकार के साथ साथ राज्य निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट के अवमानना के मामले में फंस सकती है.★
एक्सट्रीमली बैकवार्ड क्लास कमीशन को डेडिकेटेड कमीशन नहीं माना जायेगा. यानि बिहार का अति पिछडा वर्ग आय़ोग डेडिकेटेड कमीशन नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कल यानि एक दिसंबर को नया आदेश जारी किया है. बिहार में निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से निकाय चुनाव पर संकट और गहरा गया है. वहीं, बिहार सरकार के साथ साथ राज्य निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट के अवमानना के मामले में फंस सकती है.
सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत औऱ जस्टिस जे. के. माहेश्वरी की बेंच ने आज बिहार में निकाय चुनाव पर रोक लगाने वाली याचिका में नया आदेश जारी किया है. कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में सुधार किया है. दरअसल कोर्ट ने 28 नवंबर को जो आदेश जारी किया था उसमें कहा गया था कि इकनॉमकली बैकवार्ड क्लास कमीशन को डेडिकेटेड कमीशन यानि समर्पित आय़ोग नहीं माना जा सकता है. इसको लेकर भ्रम की स्थिति थी. आज सुप्रीम कोर्ट ने नया आदेश जारी किया है. इसमें साफ किया गया है वह इकनॉमकली बैकवार्ड क्लास कमीशन नहीं बल्कि एक्सट्रीमली बैकवार्ड क्लास कमीशन है. सुप्रीम कोर्ट के 1 दिसंबर के आदेश में कहा गया है- एक्सट्रीमली बैकवार्ड क्लास कमीशन को डेडिकेटेड कमीशन नहीं माना जायेगा. यानि बिहार का अति पिछडा वर्ग आय़ोग डेडिकेटेड कमीशन नही है.
निकाय चुनाव फिर से टलने की पूरी संभावना
सुप्रीम कोर्ट से इस नये आदेश से ये साफ होता दिख रहा है कि बिहार में निकाय चुनाव फिर से टल सकता है. 30 अक्टूबर को बिहार के राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव की जो अधिसूचना जारी की है उसकी लाइऩ ये है-“बिहार सरकार द्वारा गठित समर्पित आय़ोग (डेडिकेटेड कमीशन) यानि अति पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपना प्रतिवेदन दिया है. उसके आधार पर नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी की जा रही है.” यानि बिहार का राज्य निर्वाचन आय़ोग ये कह रहा है कि राज्य अति पिछड़ा वर्ग आयोग डेडिकेटेड कमीशन है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह डेडिकेटेड कमीशन नहीं है.अब इसका मतलब साफ होता जा रहा है कि नगर निकाय चुनाव के टलने की पूरी संभावना है. सुप्रीम कोर्ट ट्रिपल टेस्ट वाले अपने आदेश में ये स्पष्ट कर चुका है कि राज्य सरकारों को डेडिकेटेड कमीशन बनाकर ये पता लगाना होगा कि कौन सा सामाजिक वर्ग राजनीतिक तौर पर पिछडा है. उसकी रिपोर्ट के आधार पर पिछड़ों को आरक्षण देना होगा. अब जब सुप्रीम कोर्ट ही ये कह रहा है कि बिहार का अति पिछड़ा वर्ग आय़ोग डेडिकेटेड कमीशन नहीं है तो फिर उसकी रिपोर्ट पर आरक्षण की व्यवस्था को कोर्ट कैसे मानेगा? कुल मिलाकर बिहार में नगर निकाय चुनाव के टलने की पूरी संभावना है.