न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : लखनऊ- उत्तरप्रदेश/ नई दिल्ली :
बीते साल 17 सितंबर को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने पूर्वोत्तर रेलवे के मंडुवाडीह स्टेशन का नाम नाम बदलकर बनारस किए जाने की अनुमति दी थी। 10 माह के बाद मंडुवाडीह स्टेशन का नाम आज पूरी तरह बदलकर बनारस कर दिया गया है। 1956 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ संपूर्णानंद ने बनारस का नाम बदलकर वाराणसी कर दिया था। वाराणसी संस्कृतनिष्ठ नाम था जिसका अर्थ लगाया गया कि वरुणा और अस्सी नदी के बीच का नगर।
लंबे इंतजार के बाद मंडुवाडीह स्टेशन का नाम बदल कर बनारस कर दिया गया है। बुधवार को पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल के अंतर्गत वाराणसी-प्रयागराज रेल खंड पर स्थित मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बनारस करने की स्वीकृति रेलवे बोर्ड से मिल गई। इसके बाद स्टेशन का नाम परिवर्तन करने की काम तेजी से शुरू कर दिया गया है।
साथ ही काशी के विद्वतजनों की मांग पर स्टेशन की नाम पट्टिका पर संस्कृत में भी (बनारस:) अंकित किया जा रहा है। बृहस्पतिवार से जारी होने वाले टिकटों पर बनारस नाम अंकित किया जाएगा। बीते साल 17 सितंबर 2020 को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने पूर्वोत्तर रेलवे के मंडुवाडीह स्टेशन का नाम बदलकर बनारस किए जाने की अनुमति दी थी।
पूर्वोत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार ने बताया रेलवे बोर्ड से स्वीकृति के बाद स्टेशन का नाम बदल दिया गया। स्टेशन के मुख्य द्वारा सहित परिसर व ऑनलॉइन भी इसे अपडेट कर दिया जाएगा। अब मुख्य द्वार पर बनारस स्टेशन के बोर्ड नजर आएंगे।
बीते साल अनुमति के ठीक एक दिन बाद रेल अधिकारियों ने बनारस लिखा हुआ बोर्ड लगवाया और शिवगंगा सहित अन्य ट्रेनों की पट्टी पर मंडुवाडीह हटाकर बनारस कर दिया था। इसके बाद मुख्यालय से आए दिशा निर्देशों के बाद आनन-फानन में वाराणसी मंडल के अधिकारियों ने बनारस लिखा हुआ बोर्ड और पट्टी हटवाकर मंडुवाडीह कर दिया। तब से अब जाकर स्टेशन का नाम बदलकर बनारस स्टेशन हुआ।
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है स्टेशन
बनारस स्टेशन पर यात्रियों के लिए अनुकूल सुविधाएं मौजूद हैं। स्टेशन परिसर में विशाल प्रतीक्षालय क्षेत्र, विभिन्न श्रेणियों के प्रतीक्षालय, उच्च श्रेणी यात्री विश्रामालय, एस्केलेटर, लिफ्ट, फूड प्लाजा, कैफेटेरिया, वीआईपी लाउंज, पार्किंग, सेल्फी प्वाइंट, राष्ट्रीय ध्वज, धरोहर के रूप में छोटी लाइन का इंजन, आधुनिक बुकिंग व आरक्षण कार्यालय, सभी सुविधाओं से परिपूर्ण वेटिंग रूम है।
स्टेशन में एसी लाउंज, गैर-एसी रिटायरिंग रूम और डॉर्मिटरी भी हैं। स्टेशन परिसर की वास्तुकला काशी की आस्था को दर्शाती है। स्टेशन के परिवेश में फव्वारे और बैठने की जगह शामिल है। इस स्टेशन को उन्नत यात्री सुविधाओं के रख-रखाव के लिए आईएसओ सर्टिफिकेशन, साफ-सफाई व कुशल प्रबंधन के लिए पांच एस सर्टिफिकेशन भी प्राप्त है।