न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार होना है। पशुपति कुमार पारस को केंद्र में मंत्री बनाए जाने की चर्चा है। इस बीच लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान ने मंगलवार को चेतावनी दी है कि यदि मेरे चाचा पशुपति कुमार पारस को लोजपा के सांसद के तौर पर मंत्री बनाया जाता है तो वे कोर्ट जाएंगे। हालांकि उन्हें नहीं लगता कि पीएम ऐसा करेंगे। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो मैं राजनीतिक और कानूनी स्तर पर लड़ाई लड़ने को तैयार हूं। राष्ट्रीय अध्यक्ष मैं हूं, पार्टी मेरी है, समर्थन मेरे पास है। उन्होंने दावा किया कि कैबिनेट विस्तार होते ही जदयू में टूट हो जाएगी।
पार्टी का मैं हूं राष्ट्रीय अध्यक्ष
पटना स्थित अपने आवास पर मीडिया से मुखातिब चिराग ने कहा कि कुछ दिनों से हलचल मची है। रामविलास पासवान के विचारों को कुचलते हुए अलग गुट बनाया। तब तुरंत उन्हें निष्काषित किया गया। उनकी प्राथमिक सदस्यता खत्म की गई। इस बात को आयोग से बताया। मैं इस बात पर चुनौती दे सकता हूंं। उन्होंने कहा कि वे लोग जनता को दिग्भ्रमित करते हैं । पार्टी के नाम पर उन्होंने आयोग में कोई क्लेम नहीं किया, खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बताया। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कौन लोग थे? 75 मेम्बर्स की हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी है। इसमें 66 लोग हमारे साथ थे। सचिव भी हमारे साथ हैं। प्रदेश अध्यक्ष भी हमारे साथ। सभी के एफिडेविट हमारे पास है। कोई आयोग या कोर्ट में चुनौती देगा तो जवाब मिलेगा।
रामविलास पासवान का था अकेले चुनाव लड़ने का फैसला
हमारे पिता बीमार होने के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ा था। मेरा चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से हुआ था। राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास जी ने ही पारस को हटाया और प्रिंस को जिम्मेदारी दी थी। अब चाचा हम पर आरोप लगा रहे हैं। पिता जी ही चाहते थे कि पार्टी अकेले चुनाव लड़े। उनको गए अभी नौ महीने भी नहीं हुए की अपनी महत्वाकांक्षा के लिए चाचा उस नीतीश जी के साथ खड़े हो गए, जिन्होंने हमारी पार्टी को कई बार तोड़ा, पिता जी को आगे बढ़ने नहीं दिया। हमारे नेता की राजनीतिक हत्या की कोशिश वे करते रहे। अब चाचा उन्हीं की गोद मे जाकर बैठ गए। सहानुभूति और दिखावे के लिए अपने भाई को याद कर रहे हैं। जब हॉस्पिटल में पिता ठगे तो राष्ट्रपति से लेकर देश के बड़े नेताओं ने उनका हाल-चाल पूछा तब नीतीश जी ने तंज कसा था। कई बार उन्होंने मेरे पिता का अपमान किया। कल पीएम और अमित शाह ने पिताजी को याद किया, लेकिन एक मात्र नीतीश और उनके दल ने याद नहीं किया। इस तरह का काम वो हमेशा करते रहे हैं। जन्मदिन पर भी उन्होंने विश नहीं किया। मरने के बाद भी श्रद्धांजलि तक नहीं दी। क्या ऐसे में बिहार के दलित, शोषित, वंचित लोग उन्हें माफ कर पाएंगे।
मुझे मंत्री पद की लालसा नहीं, लड़ रहा 12 करोड़ बिहारियों की लड़ाई
हाजीपुर की जनता चाचा को जवाब देगी। जब जिंदा रहते मेरे पिता ने कोई समझौता नहीं किया तो उन्मके मरने के बाद भी मैं किसी भी परिस्थिति में समझौता नहीं करूंगा। जिस दिन हम 243 पर चुनाव लड़ेंगे तो वोट प्रतिशत 12- 15 प्रतिशत होगा। नीतीश जी को हर उस व्यक्ति से तकलीफ है जो आगे बढ़ना चाहता है। भीमराव अंबेडकर पर प्रतिमा माला चढ़ना से रोका गया, एक ही आदमी को जाने देते। दलितों के आगे बढ़ने से नीतीश जी को दिक्कत है। मैं धारा के विपरीत चल रहा हूं। मुझे 15 सीट दे रहे थे। इस 15 में वीणा देवी, पारस, प्रिंस के लोग जीत कर नहीं आ पाते। मंत्री बनने की लालसा में पार्टी को धोखा दिया, परिवार और पार्टी को धोखा दिया। मेरे लिए मंत्री पद मायने नहीं रखता है। मेरी लड़ाई बिहारी अस्मिता की है। 12 करोड़ बिहारियों के लिए है। यहां एक अस्पताल नही है जो वहां अपना इलाज नहीं कर सकते, कैसा विकास किया कि उन्हें चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली जाना पड़ता है। आप रोजगार, IT के मुद्दे पर बात नहीं करता है। उन्होंने कहा कि डेढ़-दो साल से ज्यादा सरकार नहीं चलेगी। इनकी उल्टी गिनती शुरू हाे गई है। अगर मैं तानाशाह होता तो क्या समर्थन मिलता?