न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : पटना/ बिहार :
पंचायती राज विभाग ने आयोग से आग्रह किया है कि त्रि-स्तरीय ग्राम पंचायत और ग्राम कचहरी का चुनाव लड़ने के लिए कोरोना का टीका लगाना अनिवार्य होगा। इसे सुनिश्चित कराने का आग्रह राज्य निर्वाचन आयोग से बिहार सरकार ने किया है। पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आयोग से आग्रह किया गया है कि कोरोना टीका लगाने वाले को ही चुनाव लड़ने की इजाजत दें। इस संबंध में आयोग आदेश जारी करे।
मंत्री ने आगे बताया कि हमारी अपील है कि पंचायत चुनाव लड़ना चाहते हैं वो जल्द-से-जल्द स्वयं तो टीका लें ही, साथ ही अपने परिवार के सदस्यों को भी टीका अवश्य लगवाएं। इससे राज्य में कोरोना का टीका लगाने को लेकर एक अच्छा संदेश भी जाएगा। लोग इसके प्रति जागरूक होंगे। मालूम हो कि बिहार में ढाई लाख से अधिक पदों के लिए पंचायत चुनाव कराए जाते हैं। इनमें सबसे अधिक एक लाख 14 हजार, 600 पद वार्ड सदस्य के होते हैं। इतने ही पद पंच के भी होते हैं। वहीं 8386 मुखिया और इतने ही पद सरपंच के होते हैं। पंचायत समिति सदस्यों की संख्या 11491 होती है। इस तरह लाखों की संख्या में लोग पंचायत का चुनाव लड़ते हैं। गौरतलब हो कि कोरोना संक्रमण को लेकर ही अभी चुनाव कार्यक्रम को स्थगित किया गया है।
अक्टूबर-नवंबर में चुनाव संभव
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पंचायत चुनाव अक्टूबर-नवंबर में कराने की संभावना है। इसके लेकर मतदाता सूची को अद्यतन करने का निर्देश भी जिलों को दिया गया है। बूथों के पुनर्गठन आदि की कार्रवाई भी शुरू करने को कहा गया है। साथ ही, ईवीएम की व्यवस्था करने में भी आयोग जुट गया है। नियमानुसार 15 जून के पहले नये निर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथ हो जाना चाहिए था। पर, ऐसा नहीं हो सका। ईवीएम को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग और भारत निर्वाचन आयोग में सहमति नहीं बन सकी थी। बाद में यह मामला पटना हाईकोर्ट में भी गया। कोर्ट ने इस पर आपसी सहमति बनाने को कहा। इसी बीच कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आ गई। इसको देखते हुए पंचायत चुनाव की प्रक्रिया को शुरू नहीं किया गया।
परामर्शी समिति को मिला है जिम्मा
पांच वर्ष की अवधि पूरी होने के कारण 15 जून को पूर्व में गठित ग्राम पंचायतें भंग हो गई हैं। 16 जून से पंचायतों और कचहरियों का कार्य परामर्शी समिति के माध्यम से कराया जा रहा है। इसको लेकर पंचायती राज अधिनिमय में संशोधन भी किये गए हैं। हालांकि परामर्शी में पूर्व के निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही रखा गया है। निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। पंचायतों में चल रहे विकास के कार्य बाधित नहीं हों, इसी मकसद से यह निर्णय लिया गया है। नये निर्वाचन होने तक यह व्यवस्था राज्य में रहेगी।