न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
ऐसा मना जाता रहा है की सहायता, सेवा और मददके लिए धन का होना जरूरी होता है। लेकिन इसको गलत साबित कर दिखाया है अकबर ने। खुद गरीब होते हुए भी रोज दर्जनों को मुफ्त में मास्क सेनेटाइजर देकर मददगार बना हुआ है।
जिस कारण यह ठेला पर घूम घूम कर नगर की गलियों में सब्जी बेचने का काम करता है। लेकिन जब उसने देखा की कुछ गरीब लोग जो अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं उनके पास मास्क औरसेनेटाइजर खरीदने को पैसा नहीं है। इतना ही नहीं कुछ को नीचे गिरे मास्क उठाते देख मन में ख्याल आया की क्यों न जरूरतमंदों की मदद की जाय। और बस क्या था, सुबह उठकर सब्जी के ठेला और वहां से लौटने पर ठेला पर ही मास्क, सेनेटाइजर सज जाता है। और इसी के साथ ही ठेला पर यह भी बोर्ड लग जाता है। जिस पर साफ साफ शब्दों में लिखा हुआ है को जरूरतमंदों और गरीबों के यहां मास्क मुफ्त में दिया जाता है।
पूछने पर अकबर राइन ने बताया की थोड़ा बहुत जो सब्जी बेच कर कमाता है उससे घर का खर्च चलता है। उसमे से जो बच जाता है उससे मास्क, सेनेटाइजर आदि मंगाते है और गरीबों को निःशुल्क दे देते हैं।
परिजनों के द्वारा किया जा रहा पूरा सहयोग
अकबर के दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं, पत्नी है। सभी मिलकर अपनी आवश्यकताओं को सीमित करके अकबर के इस मुहिम को पूरा करने में उसका सहयोग करते हैं।