
न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
कोरोना महामारी के दौरान राजधानी दिल्ली के इतने बुरे हालात हो गए हैं कि न पड़ोसी मदद करने को आगे आ रहे हैं और न ही रिश्तेदार। देर सवेर पुलिस ही लोगों की मदद कर रही है। बुराड़ी इलाके में लक्ष्मण तिवारी नामक युवक के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। बीते दिनों तिवारी का परिवार कोरोना संक्रमित हो गया था। चंद ही घंटों में माता-पिता दोनों की मौत हो गई। उधर दूसरी ओर पत्नी भी अस्पताल में कोरोना से जंग लड़ रही है। ऐसे समय में लक्ष्मण ने अपने माता पिता के अंतिम संस्कार के लिए पड़ोसियों व रिश्तेदारों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की।
एंबुलेंस के लिए फोन किया तो वह भी 25 हजार रुपये की मांग करने लगा। इस वजह से करीब 15 घंटे तक घर में शव पड़े रहे। मदद के लिए नम आंखों से वह और उनका चार वर्षीय बेटा बालकनी पर इंतजार करते रहे। इसके बाद पुरानी दिल्ली में एक एनजीओ चलाने वाले इर्तिजा कुरैशी व सादिक अहमद को इसकी जानकारी मिली। उन्होंने पुलिस पर दबाव बनाया तब कहीं जाकर उनके माता-पिता का अंतिम संस्कार हो सका।
दरअसल लक्ष्मण तिवारी अपने परिवार के साथ बुराड़ी की शक्ति एनक्लेव में रहते हैं।
बीते दिनों वह, उनके माता, पिता व उनकी पत्नी कोरोना संक्रमित हो गए थे। तबीयत ज्यादा खराब हुई तो लक्ष्मण की पत्नी को बुराड़ी के एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। यहां घर पर माता-पिता की तबीयत भी खराब होने लगी। तीन मई को अचानक मां की ऑक्सीजन कम होने लगी। ऑक्सीजन न मिलने की वजह से तड़प-तड़पकर शाम पांच बजे के करीब उनकी मां की मौत हुई।
इसके बाद देर रात एक बजे पिता भी चल बसे। खुद कोरोना संक्रमित होने के बाद लक्ष्मण ने लोगों से बालकनी में खड़े होकर मदद मांगी। राहगीर तो क्या, पड़ोसी और रिश्तेदार कोई भी मदद को तैयार नहीं हुए। एनजीओ चलाने वाले इर्तिजा कुरैशी व सादिक अहमद ने जब पुलिस पर दबाव बनाया तो पुलिस कर्मियों ने ही बाद में उनका अंतिम संस्कार करवाया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी ही देरी से मिली थी।