न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : नई दिल्ली/ पटना/ बिहार :
हम बिहारी हैं, हमें जीतने की आदत है, हर मुश्किल से लड़ने की आदत है। जीत रहे हैं, हम जीतेंगे सब्र और जागरूकता के साथ। साल भर पहले जब कोरोना ने देश में दस्तक दी तो सबकी निगाहें बिहार पर आ टिकीं। आशंका जताई जाने लगी कि महामारी यहां तबाही मचा देगी। तर्क था कि कमजोर स्वास्थ्य संरचना, पोषण व गरीबी के पैमाने पर इस पिछड़े राज्य में कोरोना विस्फोट होगा। बिहारियों की इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) पर सवाल होने लगे। मई-जून में जब बिहारी श्रमवीर लौटने लगे तो हवा चल निकली कि हालात बेकाबू हो जाएंगे। लेकिन समय ने सबको झुठला दिया। सुखद यह कि आज बिहार में कोरोना के महज 472 सक्रिय मरीज हैं।
इतनी संख्या पिछले साल 30 अप्रैल को थी। टॉप-20 राज्य में जहां सर्वाधिक पॉजिटिव मिले उनमें असम के बाद सबसे कम केस आज बिहार में हैं। मरीजों की कुल संख्या और एक्टिव केस का अनुपात देखा जाए तो पंजाब शीर्ष पर है। यहां सौ में 6.6 लोग अभी भी बीमार हैं। महाराष्ट्र में यह संख्या 6.4 है। बिहार में 10 लाख लोगों में मात्र 2204 चपेट में आए। विकास के मानकों पर अगुवा दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब… जहां हमारे लोग रोजी की तलाश में जाते हैं, वहीं सर्वाधिक मरीज मिले। यही राज्य आज भी चिंता का विषय बने हुए हैं।
देश में सबसे अच्छा रिकवरी रेट हमारा, 99.21 फीसदी कोरोना मरीज ठीक हुए
बिहार में 100 पॉजिटिव मरीज मिले तो उनमें 99.21 ठीक हो गए। देश में यह सबसे अच्छा है। सबसे खराब रिकवरी पंजाब व महाराष्ट्र की है। बिहार ने साबित किया है कि हालात कैसे भी हों, हारना हमारे खून में नहीं है।
कोरोना केस वाले टॉप-20 राज्यों में बिहार 17वें नंबर पर
कोरोना मरीजों की संख्या के हिसाब से बिहार का स्थान देश के शीर्ष 20 राज्यों में 17वां है और मौतों के आधार पर 18वां है। बिहार में जितने लोग महामारी से मरे उससे अधिक जालंधर और लुधियाना में। मुंबई में बिहार से दस गुणा, दिल्ली में सात गुना, बेंगलुरु में तीन गुना, कोलकाता में दो गुना और अहमदाबाद में डेढ़ गुना अधिक मरे।
दूसरी लहर में बिहार, टॉप-20 राज्यों में बॉटम स्टेट
देश में कोरोना फिर सिर उठा रहा है। जानकार इसे दूसरी लहर कह रहे। कारण है कि मरीजों की संख्या जो फरवरी में कमोबेश स्थिर थी, बढ़ने लगी है। जिन 20 राज्यों में सर्वाधिक मरीज पाए गए हैं उनमें महाराष्ट्र टॉप पर है। बिहार में भी केस मिल रहे हैं पर संख्या काफी कम है। सुखद यह कि दूसरी लहर में बिहार, टॉप-20 राज्यों में बॉटम स्टेट है।
नया दौर…दवा और वैक्सीनेशन का
डॉ. दिपाली को आप नहीं भूले होंगे। 7 दिन के नवजात को घर छोड़ पीएमसीएच में ड्यूटी में लग गई थी। अब बेटा एक साल का है। कोरोना तो नहीं गया, पर दवा और वैक्सीनेशन से वो डर जरूर चला गया।
जब मां व ममता में दूरी हो गई थी
डॉ. दिपाली बोलीं-डिलिवरी नॉर्मल थी। पीपीई किट में 8 घंटे टांकों और ब्लिडिंग के साथ। वो दौर गुजर गया। तब ड्यूटी नहीं करते तो आज सुकून का ये समय भी नहीं आता।