न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
★‘हिजाब- हलाल और अजान का इश्यू क्रिएट करके हिंदू और मुस्लिम वोटों को बांटने की कोशिश की गई थी। तीन महीने पहले तक यही मुद्दे कर्नाटक में छाए हुए थे। नेशनल से लेकर लोकल टेलीविजन चैनल पर सुबह-शाम इन्हीं पर डिबेट हो रही थी, लेकिन जो लोकल चैनल ये शो दिनभर दिखा रहे थे, उनकी TRP 100 से 40 पर आ गई।’ ‘पिछले एक साल के दौरान BJP को ग्राउंड पर रिस्पॉन्स मिलता नहीं दिखा, उसी के बाद हिंदुत्व की राजनीति से पार्टी पीछे हट गई है। BJP ने अब कास्ट पॉलिटिक्स पर जाने का फैसला लिया है।★
UP में हिंदुत्व के जिस मुद्दे पर BJP ने 255 सीटें जीती थीं, वो कर्नाटक में फेल होता दिख रहा है। ये साबित हो रहा है कर्नाटक में BJP की बदली रणनीति से। बीते 90 दिनों में पार्टी ने हिजाब-हलाल-अजान जैसे मुद्दों से किनारा किया है और डेवलपमेंट पर बात करनी शुरू की है। BJP सूत्रों के मुताबिक अगले 90 दिनों के लिए एक नई स्ट्रैटजी भी तैयार की जा रही है। इसमें डेवलपमेंट के अलावा जाति की राजनीति पर फोकस रहने वाला है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बमुश्किल तीन महीने का वक्त बचा है। दक्षिण भारत में सिर्फ कर्नाटक ही ऐसा राज्य है, जहां BJP सत्ता में है। 2018 में यहां भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था, लेकिन कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर BJP ने सरकार बना ली थी। हालांकि, इस बार जो सर्वे सामने आ रहे हैं, उनके आंकड़ों ने पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है।
गृहमंत्री शाह ने CM बोम्मई को लगाई फटकार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, BJP केंद्रीय नेतृत्व के सर्वे में पार्टी को कर्नाटक में एक बार फिर बहुमत नहीं मिल रहा है। सर्वे में राज्य की कुल 224 विधानसभा सीटों में से पार्टी को सिर्फ 60-70 सीटें मिलती दिख रही हैं। ऐसा ही एक सर्वे CM बसवराज बोम्मई ने भी कराया, जिसमें पार्टी को 110 सीटें मिलने का दावा किया गया। हालांकि बहुमत के लिए 113 सीट चाहिए।
BJP सोर्सेज के मुताबिक बीते दिनों गृहमंत्री शाह बेंगलुरु आए थे। उन्होंने बसवराज बोम्मई के साथ मीटिंग की थी। शाह ने बोम्मई से सख्त लहजे में पूछा था कि जब पार्टी के सर्वे में 60 से 70 सीटें आती दिख रही हैं, तो आप किस आधार पर 110 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। इसके बाद BJP ने अगले तीन महीने के लिए चुनावी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है।
धर्म की जगह अब जाति पर फोकस
कर्नाटक के सीनियर जर्नलिस्ट बेलागुर समीउल्ला कहते हैं, ‘हिजाब- हलाल और अजान का इश्यू क्रिएट करके हिंदू और मुस्लिम वोटों को बांटने की कोशिश की गई थी। तीन महीने पहले तक यही मुद्दे कर्नाटक में छाए हुए थे। नेशनल से लेकर लोकल टेलीविजन चैनल पर सुबह-शाम इन्हीं पर डिबेट हो रही थी, लेकिन जो लोकल चैनल ये शो दिनभर दिखा रहे थे, उनकी TRP 100 से 40 पर आ गई।’
समीउल्ला आगे कहते हैं, ‘पिछले एक साल के दौरान BJP को ग्राउंड पर रिस्पॉन्स मिलता नहीं दिखा, उसी के बाद हिंदुत्व की राजनीति से पार्टी पीछे हट गई है। BJP ने अब कास्ट पॉलिटिक्स पर जाने का फैसला लिया है। इसी के तहत राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण बढ़ाने का अध्यादेश विधानसभा में पेश किया गया।
इस ऑर्डिनेंस के जरिए SC का रिजर्वेशन 15 से 17% और ST का 3 से बढ़ाकर 7% तक किया गया है। ये फैसला हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एचएन नागमोहन दास की अध्यक्षता वाले आयोग की सिफारिशों के हिसाब से लिया गया है।
इससे कर्नाटक में आरक्षण 56% तक पहुंच जाएगा। इसलिए विपक्षी दल सरकार से पूछ रहे हैं कि वे इसे कैसे लागू करेंगे। सरकार ने यह कवायद एससी-एसटी वोट बैंक को साधने के लिए की है, क्योंकि दोनों को मिला दें तो कर्नाटक में ये 16% के आसपास है।’
लिंगायत और वोक्कालिगा को किसी भी तरह जोड़ने की कोशिश
इसी तरह सरकार ने पंचमसाली लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के आरक्षण को भी बढ़ा दिया था। हालांकि हाईकोर्ट ने अभी सरकार को पिछड़ा वर्ग के आरक्षण पर यथास्थिति बनाए रखने को कहा है।
एससी-एसटी के बाद लिंगायतों की आबादी राज्य में सबसे ज्यादा है। पंचमसाली लिंगायत में आने वाली सबसे बड़ी कम्युनिटी है, जो लंबे समय से आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रही है। उनकी मांग कम्युनिटी को ओबीसी आरक्षण मैट्रिक्स की श्रेणी 3बी से 2ए में शामिल करने की है। इससे आरक्षण 5 से बढ़कर 15% पहुंच जाएगा।
पंचमसाली के अलावा वाल्मीकि समुदाय भी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण को तीन से बढ़ाकर 7.5% करने की मांग कर रहा है। इसी तरह BJP छोटी-छोटी कम्युनिटी पर भी फोकस कर रही है। जैसे, बंजारा समुदाय से खुद प्रधानमंत्री मोदी मिले थे।
उन्होंने बंजारा समुदाय की रैली में कहा, ‘एक पार्टी जिसने राज्य में सबसे ज्यादा समय तक शासन किया, उसने सिर्फ वोट बैंक पर ध्यान दिया और बंजारा कम्युनिटी के परिवारों के विकास के बारे में कभी नहीं सोचा।’
येदियुरप्पा को साइडलाइन करना चाहा, लेकिन फिर मनाना पड़ा
2021 में पार्टी ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था। उनकी जगह उन्हीं की पसंद के बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बना दिया था। CM पद से हटाने के बाद येदियुरप्पा को बड़े प्रोग्राम्स में बुलाना भी बंद कर दिया था, लेकिन ग्राउंड पर इसका निगेटिव इम्पैक्ट नजर आया।
समीउल्ला कहते हैं, ‘CM के प्रोग्राम में ही कुर्सियां खाली पड़ी थीं। येदियुरप्पा भी चुपचाप हो गए थे। इसके बाद पार्टी ने उनसे दोबारा कैम्पेन में शामिल होने की रिक्वेस्ट की। येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय में काफी पॉपुलर हैं और हिंदू-मुस्लिम दोनों ही कम्युनिटी के लोग उन्हें पसंद करते हैं।’
सीनियर जर्नलिस्ट एम सिद्धाराजू कहते हैं, ‘कर्नाटक में दो ग्रुप हैं। एक ग्रुप येदियुरप्पा का है और दूसरा उनके खिलाफ है। ऐसा कहा जाता है कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष उन्हें पसंद नहीं करते। कर्नाटक में हिंदुत्व की राजनीति की रणनीति भी बीएल संतोष के कहने पर ही आजमाई गई थी।’
‘हालांकि येदियुरप्पा को दूर करना और हिंदुत्व की राजनीति दोनों से ही पार्टी को फायदा नहीं मिल रहा था, इसलिए अब हिंदुत्व की राजनीति को कास्ट पॉलिटिक्स में बदल दिया गया है और येदियुरप्पा की वापसी हो गई है।’
हम अपनी स्ट्रैटजी लोगों को क्यों बताएंगे: BJP प्रवक्ता
इस मामले में BJP के स्पोक्सपर्सन गणेश कर्णिक से सवाल किया तो जवाब मिला, ‘क्या हिजाब का मुद्दा हमने उठाया था। क्या शिमोगा में 23 साल के बजरंग दल के कार्यकर्ता का मर्डर हमने किया। नहीं न। फिर यदि कोई हिजाब को मुद्दा बनाएगा तो हम चुप क्यों बैठेंगे।’ कर्णिक आगे कहते हैं, ‘हिंदुत्व तो हमारा कोर इश्यू है, लेकिन हम चुनाव डेवलपमेंट पर लड़ते हैं। और BJP की चुनावी स्ट्रैटजी क्या है, इसका जिक्र हम पब्लिक में क्यों करेंगे।’
येदियुरप्पा के बाद पार्टी के पास कोई पॉपुलर चेहरा नहीं
जानकारों के मुताबिक BJP के पास कर्नाटक में लोकल लेवल पर कोई पॉपुलर चेहरा नहीं बचा है। येदियुरप्पा का उम्रदराज होना पार्टी के लिए सबसे बड़ी मुसीबत है। वो 79 साल के हो चुके हैं। बसवराज बोम्मई मास लीडर नहीं हैं। इसलिए पार्टी इस बार PM मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ रही है।
सिद्धाराजू कहते हैं, ‘कर्नाटक में विधानसभा और लोकसभा की वोटिंग एकदम अलग होती है। PM मोदी के चेहरे पर लोकसभा में फायदा मिल सकता है, लेकिन विधानसभा में वो कितना असर दिखाएगा, यह कहा नहीं जा सकता। कांग्रेस लगातार एंटी इनकम्बेंसी वेव पैदा करने की कोशिश कर रही है। 23 जनवरी को कांग्रेस ने बेंगलुरु में एक साथ 200 जगहों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसमें करप्शन मुख्य मुद्दा था, जिसे उठाकर कहा गया कि यह 60% कमीशन वाली सरकार है। बिना कमीशन दिए यहां कोई काम नहीं होता।’
सिद्धाराजू की बात ठीक भी है, क्योंकि कर्नाटक स्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन भी BJP सरकार पर 40% कमीशन लेने का आरोप लगा चुकी है। एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डी केम्पन्ना ने बताया, ‘रिश्वत तो कांग्रेस के जमाने में भी देनी पड़ती थी। इससे किसी एक पार्टी का लेना-देना नहीं है, लेकिन पहले 5 से 10% रिश्वत ली जाती थी। 2019 से ये अमाउंट बढ़कर 40% तक पहुंच गई। 40% रिश्वत दे देंगे तो फिर काम कैसे करेंगे। फिर कॉन्ट्रैक्टर से ही पूछा जाएगा कि काम क्यों नहीं हुआ।’ सिद्धाराजू कहते हैं, ‘इसका पब्लिक में बड़ा असर हुआ है। लोगों को ऐसा लगने लगा है कि सरकार में हर काम के लिए कमीशन लिया जा रहा है।’