न्यूज़ टुडे टीम बाढ़ अपडेट : बैरिया- बेतिया/ बिहार :
बिहार में बाढ़ ने पीड़ितो को हुनरमंद बना दिया है. बाढ़ से बचने के लिए पीड़ितों ने टायर पर चचरी रखकर नाव बना दी. इसके बाद अब टायर पर चचरी रखकर बैरिया प्रखंड के बैजुआ गांव के लोग बाढ़ में भी रोजमर्रा के काम कर रहे हैं.
बिहार में बाढ़ ने पीड़ितो को हुनरमंद बना दिया है. बाढ़ से बचने के लिए पीड़ितों ने टायर पर चचरी रखकर नाव बना दी. इसके बाद अब टायर पर चचरी रखकर बैरिया प्रखंड के बैजुआ गांव के लोग बाढ़ में भी रोजमर्रा के काम कर रहे हैं. बाढ़ इस समय बैजुआ के लोगो पर कहर बरपा रही है. चारों तरफ पानी का सैलाब है. प्रशासन जब इस त्रासदी को झेल रहे लोगों के लिए नाव की व्यवस्था नहीं कर पाया तो आपदा झेल रहे लोग स्वयं टायर पर बांस की चचरी रखकर नाव की तरह अपने कामों को अंजाम दे रहा है.
नौका टोला का बैरिस्टर यादव का घर पानी मे डूबा है. घरों में सात सदस्यों के लिए न आटा था और न ही चावल. जबकि एक ओर घर से बाहर पांच से आठ फुट पानी सड़कों पर हिलोरे ले रहा था. वहीं दूसरी तरफ इनके परिवारों के पेटों मे भूख भी हिलोरे मार रहा थी. बाहर राशन लाने के लिए न नाव थी न कोई साधन. इसने घरों मे रखे टायर को लाया. फिर खेत को घेरने के लिए बना चचरी खोला. फिर टायर पर चचरी डाली और तैयार कर ली अपनी देसी नाव. फिर उसपर गेहूं का भरा बोरिया लादकर पीसवाने के लिए चल दिया.
खुद किया इंतजाम
बैरिस्टर यादव कहते हैं- ‘का करीसन घर डूबीए गईल बा. भोजन भी ना होई त कइसे जीएम सन. कबले साहेब लोग के इंतजार करी सन कि नाव होई त काम होई. अब अपने जुगाड़ करके काम करे के पड़ी’. गांव में अब प्रशासन के मदद करने की उम्मीद भी छोड़ दी गई है. स्वनिर्मित आने जाने की नाव रूपी बनी जुगाड़ जोखिम से भी भरा हुआ है, क्योंकि आने जाने के क्रम मे अगर तेज धार या कोई बड़ी वस्तु कभी भी खतरा पैदा कर सकती है. परंतु लोग कहते है कि जब आफत आती है तो उससे निकलने के रास्ते ढूंढने की हुनर भी आगे आकर हाथ थामने लगता है, जो आज इस बैजुआ मे होते दिखा.