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रिंकू गिरी, स्थानीय संवाददाता, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
★अब दूसरे पार्ट यानी मिस्कॉट के तरफ सफाई शुरू होगी। शुक्रवार से सफाई शुरू होने की संभावना है। जिसके लिए डिविडिंग मशीन को उस साइड ले जाने का प्रयास हो रहा है। मशीन को पुल के नीचे से दूसरी साइड ले जाया जाएगा। इसके लिए पुल के नीचे गंदगी की सफाई की जा रही है। पुल के नीचे करीब तीन फीट गहराई में पानी है। वहां से मशीन को पार कराया जाएगा। दूसरे पार्ट में जलकुंभी की सफाई तीन महीने में होगी। मार्च तक जलकुंभी की सफाई के काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इधर, झील से गाद सफाई के लिए डिसिल्टिंग मशीन 15 जनवरी तक यहां आ जाएगा।★
मोतीझील के एक पार्ट की सफाई पुरी कर ली गई है। अब दूसरे पार्ट यानी मिस्कॉट के तरफ सफाई शुरू होगी। शुक्रवार से सफाई शुरू होने की संभावना है। जिसके लिए डिविडिंग मशीन को उस साइड ले जाने का प्रयास हो रहा है। मशीन को पुल के नीचे से दूसरी साइड ले जाया जाएगा। इसके लिए पुल के नीचे गंदगी की सफाई की जा रही है। पुल के नीचे करीब तीन फीट गहराई में पानी है। वहां से मशीन को पार कराया जाएगा। दूसरे पार्ट में जलकुंभी की सफाई तीन महीने में होगी। मार्च तक जलकुंभी की सफाई के काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इधर, झील से गाद सफाई के लिए डिसिल्टिंग मशीन 15 जनवरी तक यहां आ जाएगा। पांच-सात दिन उसे इंस्टॉल करने में लगेगा। जानकारी के अनुसार 25 जनवरी से गाद की सफाई शुरू होगी। जिस पार्ट में जलकुंभी की सफाई हुई है उसी पार्ट से गाद निकालने का काम होगा। गाद दो-तीन मीटर में निकाला जाएगा। गाद को झील किनारे रख उससे बंड बनेगा। बंड पर ही पाथवे बनाया जाएगा।
लगाया गया है 3 फाउंटेन जेट
झील को आकर्षक बनाने के लिए यहां तीन फाउंटेन जेट लगाया गया है। करीब 85 लाख से फाउंटेन जेट लगाया गया है। लेजर लाइट से पानी निकलने पर झील की सुंदरता बढ़ जाती है। जिसे देखने के लिए शहर के लोग शाम में झील किनारे पहुंचते हैं।
वेस्टेज के निस्तारण की नहीं है व्यवस्था
झील से जो जलकुंभी निकाला जा रहा है। उसके निस्तारण की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। सफाई करने वाली कंपनी व बुडको ने पूर्व में इसके निस्तारण को लेकर अपने हाथ खड़ा कर दिया था। बुडको के पास जलकुंभी से खाद बनाने की न तो कोई व्यवस्था है और न फंड। शुरू में डीएम की पहल पर झील किनारे जलकुंभी पर दवा का छिड़काव कर जैविक खाद बनाने का प्रयास किया गया था। लेकिन, वह सफल नहीं हो सका। नगर निगम ने भी इस काम से हाथ खींच लिया। अब जलकुंभी को निकाल कर किनारे जमा किया जाता है। वहां से सुखने पर निगम कर्मी उठाकर ले जाते हैं और जला देते हैं। कंपनी को एक साल तक सफाई का काम करना है।
मोतीझील की सफाई व जलकुंभी निकालने का काम तेजी से चल रहा है। मार्च तक काम को पूरा कर लिया जाएगा। इधर, पाथवे निर्माण सहित अन्य काम भी शुरू किया जा रहा है।
-विश्वजीत कुमार, सहायक अभियंता, नगर विकास प्रमंडल, मोतिहारी
झील किनारे बनेगा पाथवे
झील से निकले गाद को जियो सिल में भरकर किनारे रखा जाएगा। गाद से पानी निकलने के बाद उसे समतल कर पेवर ब्लॉक कर पाथवे बनेगा। झील के चारों तरफ पाथवे बनेगा। जिसके लिए मार्च में काम शुरू हाेने की संभावना है। इसके अलावे पांच जगहों पर घाट, एक जगह पर पार्क व शौचालय तथा चेंज रूम बनाया जाएगा। 26 अप्रैल 2022 से मोतीझील में जलकुंभी सफाई का काम चल रहा है। सात माह में गायत्री नगर से चीनी मिल तक करीब दो किमी में झील की सफाई की गई है। यह पार्ट बड़ा था इस कारण अधिक समय लगा है। दूसरा पार्ट छोटा है जिसे तीन माह में सफाई कर लिया जाएगा। जिस पार्ट में सफाई हुई है वहां किनारे अभी भी जलकुंभी जमा है। पानी कम होने के कारण वहां मशीन से सफाई करना मुश्किल है। इस कारण वहां नाव से जलकुंभी की सफाई होगी।