न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : कोटवा- मोतिहारी/ बिहार :
महज चार माह में ही विभागीय कर्रवाई के शिकार कोटवा थानाध्यक्ष को शराब माफियाओं पर कर्रवाई करना महंगा पड़ा। क्षेत्र के अमन पसंद लोगों को एसपी और डीएसपी की थानाध्यक्ष पर कर्रवाई करना गले नही उतर रहा। क्षेत्र में तरह तरह के चर्चे हैं। लोग यह समझ नही पा रहे कि आखिर इतनी जल्दी थानाध्यक्ष को क्यूँ हटाया गया ? दूसरी ओर शराब कारोबारियों में खुशी का माहौल है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कोटवा में पदस्थापन के साथ ही राजीव कुमार ने 30 अगस्त को बेलवा माधो गांव के समीप से 35 ड्राम में रखे 7 हजार लीटर स्प्रिट पकड़ कर उसमे संलिप्त 16 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज किया। इस घटना के बाद शराब माफियाओं में हड़कंप मच गया। इसी दौरान थानाध्यक्ष ने थाना में जड़ जमाये तथाकथित एसपीओ की शराब माफियाओं के साथ तार जुड़े होने को उजागर कर उस पर प्रथमिकी दर्ज कर उसके खिलाफ कर्रवाई शुरू कर दिया।
इसके अतिरिक्त आए दिन छोटी छोटी घटना के बाद सड़क जाम होना आम बात था। परंतु 19 सितंबर को गढ़वा खजुरिया के समीप एनएच 28 पर हुए दुर्घटना के बाद सड़क जाम कर रहे 44 नामजद सहित 169 लोगो के विरुद्ध प्रथमिकी दर्ज कर इस परंपरा को लगभग बंद कर दिया। और गत तीन माह में एक भी सड़क जाम नही हुआ। इसके अलावे उन्होंने ऐसे कई मामले उजागर किया और सख्त कार्रवाई की।
स्थानीय जिला पार्षद मनोज मुखिया ने इस घटना पर गंभीर प्रतिक्रिया व्यक्त करते इस मामले में मुख्यमंत्री और डीजीपी से मिलकर इस घटना की शिकायत की जाएगी। एसपी और डीएसपी की यह कर्रवाई सरकार के शराब बंदी पर कुठाराघात है।
जदयू राज्य परिषद सदस्य संजय सिंह ने जिला पुलिस कप्तान के कोटवा थानाध्यक्ष पर कर्रवाई की घटना पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि थानाध्यक्ष ने शराब माफियाओं पर कर्रवाई की है। बावजूद इसके उसे वापस बुलाने की शिकायत मुख्यमंत्री और पार्टी में उठाने की बात कही।
वही पूर्व मुखिया भाजपा नेता राघो सिंह ने कहा कि थानाध्यक्ष को शराब माफियाओं पर कर्रवाई का दंश झेलना पड़ा। इससे यह साबित हो गया है कि शराब कारोबारियों की कितनी पकड़ है। यह बिहार सरकार के शराब बंदी की पोल खोलती है।