न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : नई दिल्ली :
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन की जरूरत का समर्थन करते हुए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्लूडी) ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वर्तमान संसद भवन का केंद्रीय कक्ष कुछ आपात परिस्थितियों में बचाव और निकासी अभियानों के लिए चुनौती है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दायर कर सीपीडब्लूडी ने कहा कि केंद्रीय कक्ष में लोगों के बैठने की क्षमता सिर्फ 440 है।
संयुक्त सत्र के दौरान अतिरिक्त सीटें लगानी पड़ती है। इससे आपात परिस्थितियों में बचाव एवं निकास अभियानों के लिए चुनौती खड़ी होती है। इसके अलावा संसद की वर्तमान इमारत पुरानी, ऊर्जा खपत के मामले में खराब और समकालीन अग्नि सुरक्षा मानकों पर विफल है। इसके अलावा यह ढांचे की सुरक्षा संबंधी अपग्रेड किए गए भूकंप क्षेत्र-4 के प्रावधानों को भी पूरा नहीं करती। इतने वर्षो में संसदीय गतिविधियां, वहां काम करने वाले और आने वाले लोगों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। इसलिए इमारत में क्षमता से ज्यादा इस्तेमाल के चिन्ह दिखने लगे हैं और अब यह स्थान, सुविधाओं और तकनीक के मामले में वर्तमान जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं है।
सीपीडब्लूडी ने दलील दी कि संसद की नई इमारत का निर्माण समय की जरूरत है क्योंकि और सदस्यों को वर्तमान इमारत में समायोजित कर पाना संभव नहीं है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट अभी तक सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इन्कार करता रहा है। इसे नवंबर 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य है।