न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : पटना/ बिहार :
बिहार में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों में फंसे हुए मजदूर अब लौट रहे हैं. क्वारनटीन सेंटर में प्रवासी मजदूरों के ठहरने को लेकर बिहार सरकार ने रणनीति बदली है. राज्य सरकार ने कोरोना प्रभावित केवल 11 ऐसे शहरों का चुनाव किया है, जहां से लौटे मजदूरों को सरकारी क्वारनटीन में रहना अनिवार्य किया जाएगा.
बीते तीन सप्ताह में बिहार राज्य में 13 लाख से भी ज्यादा प्रवासी मजदूर देश के अलग-अलग हिस्सों से लौटे हैं. राज्य सरकार की ओर से तय किए गए नियम के मुताबिक इन सभी प्रवासी मजदूरों को सरकारी क्वारनटीन केंद्रों में रखा जा रहा है. क्वारनटीन सेंटरों में रखे गए मजदूरों के लिए तीन वक्त के खाने का इंतजाम किया जा रहा है. आने वाले 10 दिनों में बिहार में करीब 20 लाख प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से लौटेंगे.मजदूरों को ठहराने को लेकर बिहार सरकार के सामने अब समस्या पैदा हो रही है.
बिहार में करीब 6000 क्वारनटीन सेंटर बनाए गए हैं, जिनमें प्रवासी मजदूरों को ठहराया गया है. ऐसे में अगर और मजदूर लौटते हैं तो उन्हें ठहराने का इंतजाम सरकार के लिए कर पाना मुश्किल हो सकता है. इन्हीं मुश्किलों के चलते राज्य सरकार ने प्रवासी मजदूरों को क्वारनटीन सेंटरों में ठहराने की रणनीति में बदलाव किया है.
प्रवासी मजदूरों को लेकर बनी 2 लिस्ट
बिहार सरकार के आपदा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने सभी जिलाधिकारियों को एक पत्र लिखा है, जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को दो हिस्सों में बांटा गया है. पहले लिस्ट में ऐसे प्रवासी मजदूर शामिल होंगे, जो 11 शहरों से वापस बिहार लौटे हैं. जहां पर कोरोना संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है.
इन 11 शहरों से आए लोगों का क्वारनटीन सेंटर में रहना अनिवार्य
जो मजदूर मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, सूरत, दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद, बेंगलुरु और कोलकाता से वापस बिहार लौटेंगे, उन्हें अनिवार्य तौर पर सरकारी क्वारनटीन केंद्र में 14 दिनों तक रहना होगा. अगर कोविड-19 के लक्षण इन मजदूरों में नहीं दिखते हैं तो उन्हें फिर घर जाने दिया जाएगा. इस दौरान उन्हें होम क्वारनटीन में रहना होगा.