
न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : मेरठ/ बिहार :
विकास जैन ने जिस तरह से फर्जीवाड़ा किया, उसे जीएसटी की भाषा में ‘टैक्सी फर्म’ कहते हैं। ये सिर्फ दर्शाई जाती हैं, लेकिन हकीकत में होती नहीं हैं। उनकी जगह घर या दुकान होते हैं। आरोपी की सच्चाई जानकर अधिकारी भी हैरान रह गए।
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के तहत इनपुट क्रेडिट टैक्स (आईटीसी) के जरिए फर्जी तरीके से क्लेम कर सरकार को चूना लगाया जा रहा है। अब तक केंद्रीय व राज्य की जांच एजेंसियां करोड़ों की टैक्स चोरी के मामले पकड़ चुके हैं। ऐसी दो दर्जन से ज्यादा फर्म सीजीएसटी और डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीएसटीआई) के रडार पर हैं। मेरठ और आसपास के जिलों में भी आईटीसी के तहत की गई टैक्स चोरी पकड़ी जा रही है।
दरअसल, जीएसटी लागू होने के बाद फर्जी तरीके से बनाई गई फर्मों के जरिए फर्जीवाड़ा चल रहा है। ऐसी फर्मों को चिह्नित किया जा रहा है, जिन्होंने पांच करोड़ रुपये से ज्यादा का आईटीसी क्लेम लिया है। इसके अलावा वह फर्में भी रडार पर हैं, जो जीएसटी लागू होने के बाद बनाई गई हैं। इसके पीछे सबसे खास वजह यह है कि पांच करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी पकड़े जाने पर संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है। वहीं अधिकारियों का मानना है कि टैक्स चोरी रोकने के लिए जालसाजों को जेल भेजा जाना जरूरी है। जिन फर्मों को रडार पर लिया गया है, उनमें से कई के बैंक खाते आईटीसी क्लेम लेने के बाद बंद हो गए।