
न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव : पटना
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह
*प्रदर्श कला के लिए एक लाख रुपये, प्रतीक चिह्न, मोमेंटो, प्रमाणपत्र और अंगवस्त्र से हुए सम्मानित, 150 क वर्षों के रंगमंचीय इतिहास में चम्पारण के किसी रंगकर्मी से को अब तक कोई राजकीय सम्मान नहीं मिला था। उनके राष्ट्रीय स्तर पर किए गए उल्लेखनीय योगदान पर आधारित एक परिचयात्मक फिल्म भी प्रदर्शित की गई, जिसे विभागीय मीडिया टीम ने तैयार किया था।*
चंपारण के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक बिहार रहा। बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा पटना के मौयां अशोक हॉल में आयोजित भव्य समारोह में मोतिहारी निवासी प्रसिद्ध रंगकर्मी और नाटककार प्रसाद रत्नेश्वर को प्रदर्श कला का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान 2024-25 प्रदान किया गया। यह पुरस्कार बिहार सरकार की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर राज्य और राज्य के बाहर के नामचीन कलाकारों को दिया जाता है। इस बार यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रसाद रत्नेश्वर को मिला। सम्मान स्वरूप उन्हें एक लाख रुपये नकद, स्मृति-चिह्न, मोमेंटो, प्रमाणपत्र और अंगवस्त्र भेंट किया गया। इस अवसर पर उनके राष्ट्रीय स्तर पर किए गए उल्लेखनीय योगदान पर आधारित एक परिचयात्मक फिल्म भी प्रदर्शित की गई, जिसे विभागीय मीडिया टीम ने तैयार किया था।
समारोह का उद्घाटन बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने दीप प्रज्वलित कर किया। इसकी अध्यक्षता कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री मोतीलाल प्रसाद ने की। मंच पर विभागीय सचिव प्रणव कुमार, संयुक्त सचिव सह सांस्कृतिक कार्य निदेशक श्रीमती रूबी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
गौरतलब है कि दिल्ली में बिहार महोत्सव और चंपारण में चंपारण महोत्सव के प्रणेता प्रसाद रत्नेश्वर पिछले 41 वर्षों से मोतिहारी, पटना और दिल्ली रंगमंच पर सक्रिय हैं। वे 14 वर्षों तक बिहार संगीत नाटक अकादमी की कार्यसमिति के सदस्य तथा 2 वर्षों तक संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के इजेडसीसी बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में कलाविद सदस्य के रूप में अपनी सेवाएँ दे चुके हैं।
उनका चर्चित नाटक “नीलही कोठी” विदेसिया लोक नाट्य शैली पर आधारित है, जिसका मंचन राष्ट्रीय स्तर पर किया जा चुका है। उनके द्वारा कविता, गजल, शोध-प्रबंध, शोध पत्र और जीवनी की पाँच पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं।
थारू जनजाति को चीन के विश्व मंच 20 पर प्रस्तुत कर अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला चुके कर प्रसाद रत्नेश्वर ने इस सम्मान को चंपारण रंगमंच के के लिए ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि 150 क वर्षों के रंगमंचीय इतिहास में यहाँ के किसी रंगकर्मी से को अब तक कोई राजकीय सम्मान नहीं मिला था। है। यह राष्ट्रीय सम्मान न केवल उनके लिए बल्कि मन उन हजारों रंगकर्मियों के लिए तर्पण के समान है, जिन्होंने मोतिहारी रंगमंच पर अपनी भूमिका निभाई है।
उल्लेखनीय है कि इस प्रतिष्ठित सम्मान के से पूर्व शोभना नारायण, पं. बिरजू महाराज, प्रेम जि कुमार मल्लिक और सतीश आनंद जैसी विभूतियों गम को सम्मानित किया जा चुका है।