न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : नई दिल्ली :
★यूएलपीआईएन को जमीन का आधार कार्ड कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। जिस तरह आधार कार्ड किसी व्यक्ति की पहचान उजागर करता है, उसी तरह यूएलपीआईएन में दर्ज 14 अंक/अक्षर जमीन का सारा ब्योरा बता देंगे। देशभर में लैंड रिकॉर्ड्स को ऑनलाइन करने का काम चल रहा है। 2008 में शुरू हुए अभियान में अब तक 94% काम पूरा हो चुका है। इसके तहत हरेक भूखंड को विशेष पहचान संख्या आवंटित की जा रही है।★
आम नागरिकों का जीवन आसान बनाने और भ्रष्टाचार दूर करने में तकनीक ने बहुत मदद की है। देश की सरकारों ने भी तकनीकी की क्षमता को पहचानते हुए इस ओर तेजी से कदम बढ़ाया है। एक अदद आधार कार्ड से आम नागरिकों की जिंदगी में तो बदलाव आया ही है, सरकारी एजेंसियों को भी अपनी जिम्मेदारियां पूरा करने में सुविधा हुई है। अब आधार के तर्ज पर ही जमीनों की भी पहचान संख्या जारी की जा रही है। साथ ही, भूखंडों के ब्योरों का कंप्यूटरीकरण करके उन्हें ऑनलाइन किया जा रहा है। अब जमीनों की विशिष्ट संख्या तैयार की जा रही है।
तैयार हो रहे हैं ULPIN
दरअसल, जमीन मालिकों को आधार नंबर की तरह ही जमीन की भी 14 अक्षरों एवं अंकों की (Alpha-Numeric) पहचान संख्या दी जाएगी। इसे विशिष्ट भूखंड पहचान संख्या (ULPIN – Unique Land Parcel Identification Number) कहा जाएगा। यह सभी बैंकों और सरकारी संस्थाओं के पास उपलब्ध होगा। जिस तरह आधार कार्ड से व्यक्ति की पहचान की जाती है, उसी तरह जहां भी जमीन की पहचान की जरूरत होगी, वहां यूएलपीआईएन बताकर काम निपटाया जाएगा।यूएलपीआईएन क्षैतिज और दंडवत (Latitude and Longitude) के आधार पर बनाया जाएगा।
ULPIN से कौन-कौन से फायदे
जमीन का ब्योरा जुटाने के लिए रेवेन्यू ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने होंगे। इस एक नंबर से जमीन की खरीद-बिक्री का हर ब्योरा उपलब्ध हो जाएगा। इस तरह, बाबुओं की जेब गरम करने में पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं रहेगी। अब घर बैठे ऑनलाइन ही लैंड रिकॉर्ड देखा जा सकेगा और उसे प्रिंट भी किया जा सकेगा। जमीन के दस्तावेज में छेड़छाड़ या किसी तरह का घपला-घोटाला नहीं किया जा सकेगा। ⮞ जमीन विवाद के मामले घटेंगे। गलत तरीके से जमीन की रजिस्ट्री असली जमीन मालिक के अलावा दूसरे के नाम पर नहीं किया जा सकेगा। एक ही जमीन पर अलग-अलग बैंकों से लोन नहीं लिया जा सकेगा। जमीन को लेकर धोखाधड़ी के मामले कम होंगे। बेनामी लेनदेन पर रोक लगेगी। जमीन की रजिस्ट्री आसान हो जाएगी।
कहां तक बढ़े कदम?
डिजिटल भारत भूखंड ब्योरा आधुनिकीकरण कार्यक्रम (Digital India Land Record Modernisation Programme) की शुरुआत 2008 से ही हुई थी। 2016 में डिजिटल इंडिया मिशन लॉन्च होने के बाद इस काम में तेज गति आई। देश के कुल 6.56 लाख में से 6.08 लाख गांवों के जमीन रिकॉर्ड को डिजिटल बनाकर वेब पोर्टल पर डाल दिया गया है। इस तरह, जमीन दस्तावेज को डिजिटल फॉर्मेट में लाने का काम 94% पूरा हो चुका है। देश के सभी 5,220 रजिस्ट्री ऑफिसों में से 4,883 को ऑनलाइन किया जा चुका है। 19 राज्यों में पायलट प्रॉजेक्ट चल रहा है। 13 राज्यों में सात लाख भूखंडों के लिए यूएलआईपीएन जारी हो चुके हैं।
अभी क्या होता था?
अब तक गांव को इकाई मानकर जमीन की पहचान की जाती थी। इस कारण हर रजिस्ट्री में इकाई के रूप में गांव का ही जिक्र होता था। घर का रिकॉर्ड चौहद्दी के अनुसार तैयार किया जाता था जो विवाद का कारण बनता था।