न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि है और सभी तरह की भावनाएं संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि वह राज्यों को कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं दे और गंगा जल की व्यवस्था निर्दिष्ट स्थानों पर टैंकरों द्वारा करे। उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने उपयुक्त COVID-19 प्रतिबंधों के साथ “प्रतीकात्मक” कांवर यात्रा आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि या तो आप कांवड़ यात्रा रोकिये या फिर हमें आदेश जारी करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- यह प्रथम दृष्टया विचारयोग्य है कि कांवड़ यात्रा न सिर्फ यात्रियों से बल्कि हम सभी से संबंधित है और जीवन के मौलिक अधिकार के केंद्र में है। भारत के नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि है, अन्य सभी भावनाएं चाहे धार्मिक होना, इस मूल मौलिक अधिकार के अधीन ही आता है। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से सोमवार को अपने फैसले से अदालत को अवगत कराने को कहा, अन्यथा वह इसे रोकने का आदेश पारित करेगा।
इस मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा- स्थिति को देखते हुये, राज्यों को हरिद्वार से शिव मंदिरों में गंगाजल लाने के लिये कांवड़ियों के यात्रा की” अनुमति नहीं देनी चाहिये, लेकिन सदियों पुराने रीति-रिवाजों और धार्मिक भावनाओं को देखते हुये ऐसा कियस गया है।
इससे पहले बुधवार को, सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 महामारी के बीच ‘कांवड़ यात्रा’ की अनुमति देने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले पर एक खबर पर स्वत: संज्ञान लिया था और राज्य के साथ-साथ केंद्र को भी नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था।
क्या है मामला
देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बावजूद उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को अनुमति देने पर हैरानी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। बुधवार को प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए जस्टिस आरएस नरीमन ने कहा, ‘हमने हैरान करने वाली रिपोर्ट पढ़ी। देश के लोग भी हैरान हैं, उन्हें पता नहीं कि हो क्या रहा है। यह सब तब हो रहा है जब प्रधानमंत्री तीसरी लहर को लेकर चेता चुके हैं और कहा है कि हम जरा सी भी लापरवाही नहीं बरत सकते।’
पीठ ने हैरानी जताई कि यूपी सरकार ने तो 25 जुलाई से कांवड़ यात्रा को मंजूूरी दे दी है जबकि उसके पड़ोसी राज्य उत्तराखंड की सरकार कह चुकी है कि यात्रा नहीं होगी। हम इस मसले पर राज्य सरकारों का रुख समझना चाहते हैं। दो राज्यों के अलग-अलग बयान से नागरिक भ्रमित हो रहे हैं। उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा, शुक्रवार सुबह तक सभी पक्ष इस मामले में जवाब दाखिल करें ताकि उसी दिन इस पर सुनवाई हो सके।
गौरतलब है कि कुंभ के दौरान कोरोना ने किस तरह अपना कहर बरपाया था यह पूरे देश ने देखा। परिणास्वरूप कुंभ को बीच में ही रद्द कर दिया गया। ताजा अपडेट के अनुसार यूपी के योगी सरकार ने कांवर यात्रा निकालने का परमीशन दे दिया है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त कार्रवाई करते हुए योगी सरकार को जमकर फटकार लगाई है।