न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
RJD सुप्रीमो लालू यादव के जमानत पर बाहर आने और NDA के अहम सहयोगी हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी व VIP अध्यक्ष मुकेश सहनी के हाल के बयानों ने बिहार की सियासत में गरमाहट ला दी है। NDA जहां अपने को मजबूत होने का दावा कर रही है। वहीं, मांझी और सहनी के हाल में दिए गए बयान विपक्ष को एक मौके की तरह लग रहे हैं।
24 मई को जीतन राम मांझी ने वैक्सीन सर्टिफिकेट पर PM नरेंद्र मोदी की तस्वीर पर सवाल खड़ा कर दिया। ऐतराज जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था कि अगर वैक्सीन सर्टिफिकेट पर तस्वीर है तो कोरोना से होने वाली मौत के डेथ सर्टिफिकेट पर भी प्रधानमंत्री की तस्वीर होनी चाहिए। हालांकि, बाद में मांझी ने इस ट्वीट को हटा दिया था।
कोरोना महमारी की वजह से पंचायत चुनाव नहीं हो सके हैं। 28 मई को मांझी ने पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकार को आगे बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने कहा था कि पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को 6 महीना बढ़ा दिया जाए।
1 जून को जीतन राम मांझी ने लालू यादव- राबड़ी देवी को शादी की सालगिरह की बधाई दी। इससे भी सियासी गलियारों में गर्माहट बढ़ गई थी। लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं।
29 मई को मुकेश सहनी ने भी पंचायत प्रतिनिधियों के हक में सरकार की नीतियों का विरोध किया। सहनी ने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ना चाहिए। अधिकारियों को इनके अधिकार नहीं देना चाहिए।
बिहार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी ने 11 मई को पप्पू यादव की गिरफ्तारी का भी विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि जनता की सेवा में लगे पप्पू यादव को गिरफ्तार करना सरकार का अंसवेदनशील रवैया है।
माना जा रहा है लालू यादव जल्द बिहार आ सकते हैं। ऐसे में वो पटना आने पर तेजस्वी को सत्ता में लाना चाहेंगे। इसके लिए राजद सुप्रीमो की पूरी नजर 5 मुस्लिम विधायक पर रहेगी, जो AIMIM से चुने गए हैं। AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान कभी RJD के तेज तर्रार विधायक हुआ करते थे। लालू यादव पहले तो औवैसी से मिलकर इस मामले को सुलझाना चाहेंगे, नहीं तो अख्तरुल ईमान से पुराने रिश्तों का हवाला देकर नया दांव खेलेंगे।
उधर, मुकेश सहनी और मांझी को भी अपने पाले में लाने की कोशिश करेंगे। अगर वह कामयाब हो गए तो तेजस्वी के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी दूर नहीं होगी।