न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
आइएएस अधिकारी के लिए दृष्टि नहीं, दृष्टिकोण जरूरी है – सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की यह बातें आने वाले दिनों में बोकारो के जनमानस को प्रभावित करने जा रही हैं। जी हां, लाख चुनौतियों और झंझावतों को झेल आइएएस बने राजेश कुमार सिंह को बोकारो का उपायुक्त बनाया गया है। दृष्टिबाधित राजेश कुमार सिंह के आइएएस बनने पर ही तमाम अड़चनें आई थीं लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा लड़कर यह उपलब्धि हासिल की। पटना के धनरुआ निवासी राजेश कुमार सिंह देश के पहले दृष्टिबाधित आइएएस अधिकारी हैं। दृष्टि बाधित होने के बावजूद किसी जिले के उपायुक्त बनने वाले भी यह पहले अधिकारी हैं।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने राजेश के आइएएस बनने पर आपत्ति जताई थी लेकिन राजेश ने हार नहीं मानी और सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा लड़ा। अंत में सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की बेंच ने उन्हेंं आइएएस बनने के लिए योग्य माना। यह भी महज इत्तेफाक है कि राजेश कुमार के पक्ष में फैसला सुनाने वाले जजों में से एक अल्तमस कबीर झारखंड में चीफ जस्टिस रह चुके थे। उस वक्त शायद ही कोई जान रहा होगा कि राजेश कुमार भी झारखंड पहुंचेंगे। वर्तमान में राजेश कुमार सिंह उच्च शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग में विशेष सचिव के तौर पर काम कर रहे थे।
संघर्ष की कहानी पर लिखी है किताब
राजेश 1998, 2002 और 2006 में दिव्यांगों के लिए आयोजित विश्व कप क्रिकेट में भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। राजेश ने लगभग आठ महीने की कड़ी मेहनत से अपने संघर्ष की कहानी ‘पुटिंग आइ इन आइएएस’ नामक पुस्तक भी लिखी है, जिसका विमोचन तत्कालीन लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने 2017 में किया था।
क्रिकेट खेलते हुए ही रोशनी खोई थी
राजेश के जीवन संघर्ष की बात करें तो बचपन से ही क्रिकेट में उनकी दिलचस्पी रही है। जब वे छह साल के थे, क्रिकेट बॉल को कैच करने की कड़ी में कुएं में गिर पड़े और सदा के लिए आंखों की रोशनी खो दी। अब उनकी आंखें महज दस फीसद काम करती हैं। बकौल राजेश, रोशनी खोने का गम जरूर है, परंतु दृष्टि से अधिक महत्व दृष्टिकोण का होता है और इसी के बूते उन्होंने यहां तक की यात्रा तय की है। देहरादून मॉडल स्कूल से 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण करने वाले राजेश ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास में पीजी की परीक्षा पास की और तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा के लिए चयनित हुए।
मुख्यमंत्री ने मुझ पर विश्वास जताया है और मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करूंगा। बोकारो में निश्चित रूप से सभी वर्गों के कल्याण का काम होगा। मेरी कोशिश होगी कि इस ऐतिहासिक निर्णय को सफल बनाऊं : राजेश कुमार सिंह, उपायुक्त, बोकारो, झारखंड।