न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : लखनऊ- उत्तरप्रदेश/ नई दिल्ली :
सुप्रीम कोर्ट हैदराबाद एनकाउंटर मामले की तर्ज पर कानपुर के दुर्दांत हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के दस जुलाई को हुए एनकाउंटर मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस तरह के संकेत दिए। हालांकि कोर्ट ने इस बारे में अभी कोई आदेश नहीं दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए 16 जुलाई तक का समय देते हुए कोर्ट ने मामले को 20 जुलाई को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कानपुर के विकास दुबे और उसके साथियों की मुठभेड़ पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान ये आदेश दिये। सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुई हैं। इनमें कानपुर में गत 2-3 जुलाई की रात बिकरू गांव में विकास दुबे के घर हुई मुठभेड़ में आठ पुलिस वालों के बलिदान और उसके बाद पकड़ने कोशिशों में पुलिस की गोली से बदमाशों के मारे जाने की घटनाओं पर सवाल उठाते हुए पूरे मामले की सीबीआइ या किसी निष्पक्ष एजेंसी अथवा कोर्ट की निगरानी में एसआइटी से जांच कराए जाने की मांग की गई है।
एनकाउंटर मामले पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वह मुठभेड़ की जांच के लिए कमेटी गठित करने पर विचार कर सकती है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने मामले का संज्ञान लिया है। कोर्ट उन्हें कुछ समय दे, वह मामले का ब्योरा और जवाब कोर्ट में दाखिल करेंगे। तभी याचिकाकर्ता वकील घनश्याम उपाध्याय ने कोर्ट से कहा कि इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को सौंपी जानी चाहिए।
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे इस मामले में भी हैदराबाद दुष्कर्म अभियुक्तों के मुठभेड़ कांड की तर्ज पर जांच के लिए एक कमेटी गठित करने की सोच रहे हैं। इसके बाद कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब के लिए 16 जुलाई तक का समय दे दिया और मामले को 20 जुलाई को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओं को आदेश दिया है कि वे तत्काल प्रभाव से अपनी याचिका की प्रति सालिसिटर जनरल तुषार मेहता को दें।
आठ पुलिस वालों की हत्या के बाद घटनास्थल से भाग गए विकास दुबे की खोज में उसका घर, मॉल और महंगी कारें तोड़ने और विकास के पांच साथियों का एनकाउंटर करने के मामले में एफआइआर दर्ज किए जाने और जांच सीबीआइ को सौंपे जाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि यूपी पुलिस के ये कृत्य गैरकानूनी हैं। इसलिए पूरे मामले की जांच तय समय में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआइ से कराई जाए।
एक अन्य वकील अनूप प्रकाश अवस्थी ने भी याचिका दाखिल कर रखी है जिसमें मामले की जांच एसआइटी, एनआइए या सीबीआइ से कराने की मांग की है। इनका कहना है कि इस मामले में रूल आफ लॉ का उल्लंघन हुआ है। इसके अलावा विकास तिवारी, अटल बिहारी दुबे और गैर सरकारी संगठन पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएसल) ने भी याचिकाएं दाखिल कर रखी हैं।