न्यूज़ टुडे टीम बाढ़ अपडेट : सुगौली-मोतिहारी/ बिहार :
प्रकृति के कहर के सामने किसी का नहीं चलता। वह बड़े-बड़े लोगों को तोड़कर रख देती है। तभी तो यहां चम्पारण तटबंध व मुख्य सड़कों के किनारे कभी शान से जीने वालों को भी जानवरों के साथ रहने को विवश कर दिया है। गंडक तटवर्ती आधा दर्जन से ज्यादा पंचायत के सैकड़ों बाढ़ पीड़ित प्राकृतिक आपदा का चौतरफा मार झेलने को विवश हो रहे हैं। पहले बाढ़ ने उनके आशियाने को लील लिया। वहां से भागकर ऊंचे स्थानों पर पहुंचे तो यहां भी आफत ने पीछा नहीं छोड़ा। रविवार को हुई तेज बारिश ने मनुष्य व जानवरों का भेद खत्म कर दिया। एक ही तिरपाल के नीचे मवेसी व जानवर आराम करते नजर आये। आश्चर्यजनक यह है कि इन सभी परिस्थितियों से स्थानीय प्रशासन अनभिज्ञ बना है।
बाढ़ पीड़ितों की समस्या को सुनने व उससे निजात दिलाने की दिशा में अभी तक कोई ठोस कदम न तो प्रशासन द्वारा उठाया गया है और न किसी जनप्रतिनिधि द्वारा। इसके चलते बाढ़ पीड़ितों में काफी क्षोभ है। इनके पास पहुंचे तो समस्याओं की बड़ी पोटली है। अव्वल तो यह है कि इनके समक्ष पेयजल, भोजन व सुरक्षा की सबसे बड़ी समस्या है। अनुमंडल क्षेत्र के गंडक तटवर्ती सिकटिया, सरेया, पारस, पिपरा, जितवारपुर, मलाही टोला, दलित वस्ति, नवादा, इजरा सहित दर्जनों गांव के सैकड़ों परिवार विगत एक सप्ताह से गंडक नदी में आई बाढ़ से परेशान है।
इधर, शनिवार की शाम से तेज हवा के साथ हो रही बारिश ने बाढ़ पीड़ितों को झकझोर कर रख दिया है। नवादा पंचायत के वार्ड सदस्य नन्दन पाण्डेय ने बताया कि नवादा पंचायत के सैकड़ो परिवार गंडक नदी में आई बाढ़ के कारण विगत एक सप्ताह से अपना अपना घर द्वार छोड़ कर एसएच 74 के किनारे प्लास्टिक तान कर परिवार व मवेशियों के साथ गुजर बसर करने को विवश है। कुछ लोग चम्पारण तटबंध व पंचायत भवन में किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं। स्टेट हाइवे के किनारे डेरा डाले बाढ़ पीड़ित वाहनों के आने जाने के चलते किसी अनहोनी घटना के डर से सदैव सहमें रहते हैं। उनकी नींद उड़ी हुई और चैन हराम हो गया है।
सुनील राम, रामचन्द्र राम, निकेश पाण्डेय, रामकिशोर पाण्डेय ने बताया कि एक सप्ताह से गंडक नदी में आई प्रलयकारी बाढ़ के कारण यहां शरण लिए हुए हैं। परन्तु प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों के लिए न तो भोजन-पानी और नहीं मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था की गई है। जिसके चलते बाढ़ पीड़ित किसी तरह अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इतना ही नहीं विगत कई महीनों से चल रहा कोरोना महामारी के प्रकोप से भी इलाके के लोग अभी उबर नहीं पाए हैं। तबतक बाढ़ का कहर सिर चढ़ बोलने लगा है। बाढ़ पीड़ित किसी तरह प्लास्टिक तान कर धुप व बरसात से बचाव कर समय काट रहे हैं। दो दिनों से वर्षा का पानी व तेज हवा के झोंके के बीच प्लास्टिक को बचाना मुश्किल है।
पानी के बीच रहकर भी बाढ़पीड़ितों के सूख रहे कंठ बाढ़ पीड़ित बेलास राम, रामकिशोर पाण्डेय व सुनील कुमार ने बताया कि पानी में रहकर पानी के अभाव में प्यास से कंठ सूख रहे हैं। इन लोगो ने बताया कि बाढ़ के पानी में चापाकल व कुंआ सब डूब गया है। पीने के पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है। मीलो दूर से पानी भर कर लाना पड़ रहा है। नहीं तो नदी के गंदे पानी से प्यास बुझानी पड़ रही है। हालांकि, बहुत घरों से पानी बाहर निकल गए हैं परन्तु पानी में आए कीड़े मकोड़े व गन्दगी की सड़न से उत्पन्न बदबू के कारण लोग घरों में जाने से परहेज कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभी तक डीडीटी का छिड़काव या अन्य उपाय नहीं किए जाने से महामारी फैलने की प्रबल आशंका बनी हुई है। अंचलाधिकारी वकील सिंह ने बताया कि नवादा पंचायत में चूड़ा व गुड़ का वितरण कराया गया है। वही अन्य बाढ़ प्रभावित गांवों में वितरण करने की तैयारी हो गई है। वर्षा के चलते रविवार को दूसरी पंचायतों में वितरण नहीं किया जा सका है।