
न्यूज़ टुडे टीम अपडेट : पटना/ बिहार :
बिहार में अभी दो ही मुद्दे बेहद गर्म हैं। पहला कोरोना का बढ़ता संक्रमण और दूसरा विधानसभा चुनाव। दोनों ही मामलों में आम लोगों को सुरक्षा की दरकार है। इसलिए राजनीति के केंद्र में भी यही दोनों मुद्दे हैं। भाजपा-जदयू की कोशिश है कि चुनाव अपने समय पर हो जाए, जबकि विपक्ष चाहता है कि चुनाव टल जाएं, लेकिन इसके लिए उसे जिम्मेवार नहीं माना जाए। इसलिए विपक्षी दल निर्वाचन आयोग से बढ़ते संक्रमण के बीच सुरक्षित और समान प्रचार के मौके चाहता है। आयोग भी तैयार दिखता है। उसने 31 जुलाई तक सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों से सुरक्षित चुनाव अभियान और प्रचार के तरीके के बारे में विचार और सुझाव मांगा है। इस बीच, स्वास्थ्य विभाग की केंद्रीय टीम रविवार से बिहार के दौरे पर आ रही है, ताकि संक्रमण की स्थिति की समीक्षा कर सके। माना जा रहा है कि राजनीतिक दलों के रुख और केंद्रीय टीम की रिपोर्ट के आधार पर ही बिहार में चुनाव के तौर-तरीके तय हो सकते हैं।
हालांकि चुनाव आयोग की यह पहल उन सभी राज्यों के लिए है, जहां अगले कुछ महीने में चुनाव या उपचुनाव होने हैं। ऐसे राज्यों में बिहार का स्थान सबसे ऊपर है, जहां अक्टूबर-नवंबर में आम चुनाव होने हैं। आयोग का मकसद सिर्फ इतना है कि कोरोना के दौरान होने वाले चुनावों में राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों द्वारा प्रचार किए जाने को लेकर जरूरी दिशा-निर्देश तैयार कर व्यवहार में लाया जा सके। किंतु राजनीतिक दलों की अलग-अलग राय है। बिहार में राजग के दो दल भाजपा और जदयू को छोड़कर कोई भी चुनाव के लिए तैयार नहीं हैं। यहां तक कि राजग की सहयोगी लोजपा भी नहीं। विपक्ष के सारे दलों ने तो दिल्ली में संयुक्त बैठक कर आयोग से आग्रह ही किया है कि वह लोगों को आश्वस्त करे कि विधानसभा चुनाव संक्रमण के फैलने का बड़ा कारण नहीं बनेगा।
कोरोना ने दिया विपक्ष को एक होने का मौका
कोरोना के बढ़ते संक्रमण और चुनाव के मसले ने बिहार में विपक्ष की बिखरती राजनीति को एक छतरी के नीचे खड़ा कर दिया है। दिल्ली में जिस तरह संयुक्त विपक्ष ने अरसे बाद अपने सारे मतभेद भुलाकर आवाज बुलंद की है, वह भविष्य में विपक्ष की एकजुटता की ओर संकेत कर रहा है। कांग्रेस, राजद, रालोसपा, भाकपा, माकपा, माले, ङ्क्षहदुस्तानी आवाम मोर्चा, विकासशील इंसान पार्टी और लोकतांत्रिक जनता दल के शीर्ष प्रतिनिधि एक साथ आए और सर्वसम्मति से चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा। सीट बंटवारे समेत अन्य मुद्दे यदि सुलझा लिए गए तो संयुक्त विपक्ष की यह एकता बिहार में सत्तारूढ़ दलों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं।
केंद्र की रिपोर्ट के असर से इनकार नहीं
हालांकि, बिहार में संक्रमण के बिगड़ते हालात की जानकारी लेने आ रही केंद्रीय टीम का चुनाव से कोई वास्ता नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि इस टीम की रिपोर्ट के आधार पर चुनाव का कार्यक्रम प्रभावित हो सकता है। केंद्रीय टीम ने अगर मान लिया कि बिहार में हालात भयावह हैं, नियंत्रण में अभी वक्त लग सकता है तो चुनाव के लिए जवाबदेह संस्थाएं सोचने पर विवश हो सकती हैं। बहरहाल, चुनाव से पहले बिहार पर स्वास्थ्य मंत्रालय की पैनी नजर का मतलब समझा जा सकता है। संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के नेतृत्व में केंद्रीय टीम बिहार की स्थिति की जानकारी लेगी और जो रिपोर्ट सौंपेगी, उसके आधार पर कुछ न कुछ तो तय होना ही है।