न्यूज़ टुडे टीम ब्रेकिंग अपडेट : लखनऊ/ उत्तरप्रदेश :
कानपुर में दबिश देने गई पुलिस टीम पर हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने गहरी साजिश के तहत हमला किया था। कानपुर में घटनास्थल का भ्रमण कर लौटे डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी का कहना है कि हमलावरों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाने के साथ ही कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि हमलावर योजनाबद्ध थे। पुलिस टीम पर तीन छतों से फायरिंग की गई। रास्ता रोकने के लिए जेसीबी मशीन भी लगाई गई। ताकि पुलिस टीम अपने वाहनों से बाहर आए। उन्होंने कहा कि पुलिस की शहादत का जल्द हिसाब चुकता होगा। बदमाशों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। वहीं, आइजी मोहित अग्रवाल ने विकास दुबे पर 50 हजार का इनाम भी घोषित कर दिया है।
डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी कहा कि बदमाशों को पुलिस के दबिश देने आने की जानकारी पहले से थी। यह सूचना पुलिस से अथवा किसी अन्य स्रोत से लीक हुई, इन सभी बिंदुओं पर गहनता से जांच कराई जा रही है। डीजीपी का कहना है कि हमले में 10 से अधिक बदमाश शामिल थे। सभी पूरी तैयारी थे और पहले से घात लगाए बैठे थे। आरोपित विकास व उसके साथियों की तलाश में एसटीएफ समेत कई जिलों की पुलिस जुटी है।
चौकी इंचार्ज को मारी गईं सात गोलियां :
आइजी मोहित अग्रवाल के मुताबिक हमलावर पुलिस की एक एके 47, एक इंसास रायफल व दो पिस्टलें भी लूट लीं। इनसे भी पुलिस पर गोलियां चलाईं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताती है कि एके-47, 312 बोर की बंदूक और 315 बोर की रायफल से गोलियां मारी गई हैं। चार जवानों के शरीर से गोलियां आरपार निकल गईं। सीओ के कनपटी, सीना और पैर पर सटाकर गोली मारी गई है। कुल्हाड़ी से भी उनके पांव पर कई वार किए गए हैं। दारोगा अनूप को सबसे ज्यादा सात गोलियां लगीं तो सिपाही जितेंद्रपाल व एसओ महेश को पांच-पांच। बाकी को भी चार-चार गोलियां लगी हैं।
अत्याधुनिक असलहों की कमी नहीं
उत्तर प्रदेश के अपराधियों के पास अत्याधुनिक असलहों की कमी नहीं है। यूपी में पुलिस से पहले अपराधियों के पास एके-47 सरीखे असलहे पहुंच गए थे। कई वर्ष पूर्व वाराणसी में एसटीएफ ने एलएमजी तक बरामद की थी। पुलिस सूत्रों का कहना है कि तब जांच में सामने आया था कि एलएमजी बाहुबली मुख्तार अंसारी खरीदने वाला था। मुंगेर व अन्य राज्यों से यूपी में नाइन एमएम से लेकर अन्य बोर की पिस्टल, रिवाल्वर व अन्य असलहों की सप्लाई भी बड़ी संख्या में होती रही है। पुलिस व एसटीएफ ने कई बार असलहों की खेप तो पकड़ी पर इस नेटवर्क को कभी पूरी तरह से ध्वस्त नहीं कर सकी।