न्यूज़ टुडे एक्सक्लूसिव :
डा. राजेश अस्थाना, एडिटर इन चीफ, न्यूज़ टुडे मीडिया समूह :
【ट्विटर में पीएम नरेंद्र मोदी ने भोजपुरी भाषा में ट्वीट करते हुए लिखा- ई गरीबजन के सम्मान सुनिश्चित करे वाला बा. प्रधानमन्त्री गरीब कल्याण अन्न योजना के आगे बढ़ावला से देश भर के करोड़ों लोगन के फैदा होई. यानी इससे गरीब लोगों का सम्मान सुनिश्चित होगा. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को आगे बढ़ाने से देश भर के करोड़ों लोगों को फायदा होगा. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि गरीबों के फायदे की इस बात में सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में चुनावी बढ़त की भी बात छिपी हुई है.】
गरीबों एवं श्रमिकों को और पांच महीनों तक फ्री अनाज, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का नवंबर तक अवधि विस्तार, फिर बिहार का सबसे पावन पर्व छठ का जिक्र करके सीएम-पीएम की जोड़ी ने बिहार एनडीए को लीड दिला दी. इसके बाद उनके ट्विटर अकाउंट पर भाषण का भोजपुरी में अनुवादित संस्करण का वीडियो अपलोड किया गया. ट्विटर में पीएम नरेंद्र मोदी ने भोजपुरी भाषा में ट्वीट करते हुए लिखा- ई गरीबजन के सम्मान सुनिश्चित करे वाला बा. प्रधानमन्त्री गरीब कल्याण अन्न योजना के आगे बढ़ावला से देश भर के करोड़ों लोगन के फैदा होई. यानी इससे गरीब लोगों का सम्मान सुनिश्चित होगा. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को आगे बढ़ाने से देश भर के करोड़ों लोगों को फायदा होगा. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि गरीबों के फायदे की इस बात में सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में चुनावी बढ़त की भी बात छिपी हुई है.
पीएम मोदी का भोजपुरी में ट्वीट और बिहार चुनाव से कनेक्शन
हालांकि पीएम मोदी के इस पूरे संबोधन को भोजपुरी के साथ तेलुगु, तमिल, असमिया, मराठी, पंजाबी, बांग्ला, कन्नड़, गुजराती, लद्दाखी, उड़िया, मलयालम, मैथिली, कश्मीरी, मणिपुरी समेत 15 भारतीय भाषाओं में भी जारी किया गया है. पर सबसे अधिक चर्चा पीएम मोदी के भोजपुरी में किए गए ट्वीट को लेकर ही हो रही है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि पीएम मोदी के गरीब कल्याण अन्न योजना के विस्तार का ऐलान बिहार में साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव का समीकरण साधने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और इससे कहीं न कहीं नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए को फायदा मिलेगा.
एनडीए का रास्ता आसन कर गया पीएम मोदी का संबोधन
बिहार में अक्टूबर- नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव होना है. इसमें कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते देश के अलग-अलग राज्यों से बिहार वापस लौटे 30 लाख से अधिक श्रमिक इस बार के चुनाव में काफी अहम रोल निभाने वाले हैं. बिहार में सियासी जीत-हार का रास्ता इनके समर्थन या विरोध पर काफी निर्भर करेगा. ऐसे में श्रमिकों को फायदा पहुंचाने की बात और गरीब कल्याण की योजनाएं बिहार सरकार की नाकामियों पर भी पर्दा डाल सकती है और सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में एनडीए की सरकार बनने का रास्ता आसान कर सकती है.
पीएम मोदी का संबोधन बिहार की सियासत के लिए अहम मोड़
बिहार में 8.71 करोड़ गरीब परिवार हैं, जिन्हें सरकार तीन महीने का राशन उपलब्ध करा चुकी है. इसके अलावा अन्य प्रदेशों से आए श्रमिकों व गैर राशनकार्डधारी 86 लाख 40 हजार लोगों को सरकार ने राशन उपलब्ध कराया है. इससे भी अधिक जो भी श्रमिक लौटे और जो क्वारंटाइन सेंटर में रहे, उन्हें प्रतिदिन के हिसाब से एक निश्चित रकम का भी भुगतान किया गया. साथ ही यूज किए गए बर्तन, कपड़े इत्यादि चीजें भी ले जाने को कहा गया. माना जा रहा है कि सीएम नीतीश ने जिस रणनीति के तहत ये सब किया है, पीएम मोदी का संबोधन इसी कड़ी का विस्तार है.
पीम मोदी का संबोधन में वोटों के समीकरण पर भी रही नजर
बीते 20 जून को पीएम मोदी ने इससे पहले गरीब कल्याण रोजगार योजना की शुरुआत भी बिहार से ही की है. इसके जरिए देश के अलग-अलग शहरों से बिहार वापस लौटे श्रमिकों को 25 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. देश भर के कुल 116 जिलों में शुरू किए गए इस कार्यक्रम में अकेले बिहार के ही 32 जिले शामिल हैं. जाहिर है इसके पीछे गरीबों को राहत पहुंचाने की बात के साथ ही सियासी बढ़त के लिए वोटों का समीकरण भी नजर में रखा गया है.
सीएम नीतीश और पीएम मोदी की जोड़ी और विपक्ष की खीझ
ऐसा नहीं है कि विपक्ष इस बात को नहीं समझ रहा है, लेकिन वह कुछ करने की स्थिति में नहीं है. बकौल रवि उपाध्याय आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव के इस बयान से उनकी स्थिति समझी जा सकती है जिसमें उन्होंने कहा कि- बिहार में जब लोग मर रहे हैं तो इन्हें चुनाव प्रचार की फिक्र लगी हुई है. बिहार की हालत काफी खराब है. पीएम एक दिन बिहार आएं तो सही तरीके से पता चलेगा. नीतीश कुमार तो पिछले 90 दिनों से घर से निकले ही नहीं और एक दिन निकले तो पर्दा लगाकर निकले.
सीएम-पीएम की जोड़ी ने बिहार एनडीए को लीड दिला दी
पीएम मोदी का गरीब कल्याण योजनाओं के आसरे बिहार लौटे करीब 30 लाख मजदूरों से जुड़ने की ये नीति सीएम नीतीश के लिए कारगर साबित हो सकती है. इसके लिए नीतीश कुमार ने भी कई जिलों के मजदूरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मजदूरों से संवाद किया था. साथ ही उन्होंने केंद्र के सहयोग से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिये मजदूरों को वापस भी बुलाने में पहल की थी. जाहिर है कोरोना काल में विपक्ष का खुल कर जनता के बीच नहीं जा पाने की मजबूरी के बीच सीएम-पीएम की जोड़ी ने बिहार में एनडीए को फिलहाल लीड तो दिला ही दी है.